पंजाब में जिस प्रकार से आए दिन अपराधी कानून व्यवस्था को चुनौती पेश कर रहे हैं, वह चिंताजनक है। पिछले दिनों मोहाली में वरिष्ठ पत्रकार केजे सिंह की हत्या की गुत्थी अभी सुलझी भी नहीं थी कि प्रदेश की राजधानी चंडीगढ़ में नवरात्र के आखिरी दिन शुक्रवार को एक युवती की गला रेतकर हत्या कर दी गई। हैरत की बात यह रही कि घटना के बाद युवती करीब 50 मीटर तक जान बचाने के लिए भागती रही, लोग देखते रहे, लेकिन कोई उसकी मदद के लिए आगे नहीं आया और आखिरकार जब तक पुलिस ने उसे अस्पताल में दाखिल करवाया तब तक उसने दम तोड़ दिया। गत दिवस ही अमृतसर में रिक्शे से जा रही एक महिला पर्यटक का पर्स लूटने के लिए बाइक सवार लुटेरों ने महिला को खींचकर रिक्शे से गिरा दिया और तब तक उसे घसीटते रहे जब तक कि महिला के हाथ से पर्स छूट नहीं गया। बठिंडा के पथराला गांव में अज्ञात लोगों ने घर में घुसकर तेजधार हथियारों से दादा-पोते की हत्या कर दी। बात सिर्फ शुक्रवार की ही नहीं है, अपितु शायद ही कोई ऐसा दिन गुजरता होगा जब प्रदेश के किसी न किसी हिस्से से किसी अपराध की घटना सामने न आती हो। ऐसी घटनाएं भी लगातार सामने आती रहती हैं, जिनमें कानून के रखवाले खुद आपराधिक कृत्यों में संलिप्त पाए जाते हैं। गत दिवस तो प्रदेश के एक पूर्व मंत्री पर ऐसे मामले में केस दर्ज हुआ है, जोकि शर्मसार करने वाला है। इससे तो यही प्रतीत होता है कि प्रदेश में नीचे से लेकर ऊपर तक अपराध ने अपनी जड़ें जमा ली हैं। इसके लिए तमाम कारण गिनाए जा सकते हैं, लेकिन इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता है कि सबसे बड़ा कारण कानून व्यवस्था की कमजोरी ही है। इसी कारण अपराधियों के हौसले लगातार बुलंद होते जा रहे हैं। साथ ही समाज को अपनी जिम्मेदारी ईमानदारी से निभानी होगी, क्योंकि अपराधी कहीं न कहीं इसी समाज में फलफूल रहे हैं और जब किसी अपराध को देखकर भी उसकी अनदेखी की जाती है तब अपराधियों का हौसला बढ़ना स्वाभाविक ही है। दशहरे के दिन जब हर जगह बुराइयों का रावण जलाया गया, तब सभी को यह संकल्प लेना चाहिए कि वे समाज में बुराई के प्रतीक किसी रावण को खड़ा ही नहीं होने देंगे।

[ स्थानीय संपादकीय: पंजाब ]