हमारे पर्व एवं त्योहार केवल जीवन की एकरसता को ही नहीं तोड़ते, बल्कि उत्सवधर्मिता का संचार कर आशाओं के दीप भी जलाते हैं। जब ऐसा होता है तो समाज और राष्ट्र में नई ऊर्जा का प्रवाह होता है। चूंकि दीप पर्व उत्सवों का उत्सव है इसलिए उसकी तैयारी भी जोर-शोर से होती है और स्वागत भी। जैसे मनुष्य जीवन कभी भी चुनौतियों से मुक्त नहीं होता वैसे ही समाज और राष्ट्र भी हर समय नाना प्रकार की चुनौतियों से दो-चार होता ही रहता है। वह वर्तमान में भी है। आज एक चुनौती आर्थिक सुस्ती से पार पाने की है तो एक सामाजिक सद्भाव को सशक्त करने की। हमें इन सभी चुनौतियों से पार पाना ही होगा। इससे बेहतर और कुछ नहीं कि यह दीपावली हम सबमें यह भाव जाग्रत करें कि समाज और राष्ट्र के समक्ष जो भी समस्याएं हैं उनका समाधान हम सबको मिलकर करना है।

सामाजिक सद्भाव और राष्ट्रीय एकता ऐसे तत्व हैं जिनकी आवश्यकता हर काल खंड में रही है। आगे भी रहेगी और हम उसकी आसानी से पूर्ति तब कर सकेंगे जब अपनी समृद्ध परंपराओं और सांस्कृतिक विरासत से भली तरह परिचित होंगे और यह स्मरण रखेंगे कि देश में एक बड़ा वर्ग है जिसे अभी मुख्यधारा में शामिल होना शेष है। इस वर्ग के मुख्यधारा में शामिल होने में कहीं निर्धनता बाधा है तो कहीं अज्ञानता। इन बाधाओं को दूर करने में शासन-प्रशासन के साथ समाज के उस तबके को भी आगे आना ही चाहिए जो सक्षम और समृद्ध है। उसे यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सुख और समृद्धि का प्रकाश उन तक कैसे पहुंचे जो इससे वंचित हैं।

प्रकाश पर्व अंधकार से लड़ने का संदेश लेकर आता है, लेकिन केवल उस अंधेरे से नहीं जो अमावस की रात के रूप में हर तरफ दिखता है, बल्कि उस तमस से भी जो हमारे मन-मस्तिष्क में घर कर लेता है। कोई भी समाज हो उसे भौतिक समृद्धि के साथ आत्मिक शांति भी चाहिए होती है। इसकी प्राप्ति तब होती है जब मन के कलुष को दूर करने की चेष्टा की जाती है।

दीपावली पर इस कलुष को दूर करने का संकल्प इसलिए लिया जाना चाहिए, क्योंकि वह नकारात्मकता को बढ़ाता है। चूंकि आज नकारात्मकता एक अंधकार के रूप में फैलती जा रही है इसलिए उससे लड़ने के उपाय हम सबको खोजने होंगे। नकारात्मकता केवल सकारात्मकता का हरण ही नहीं करती, बल्कि वह पूरे परिवेश को दूषित करती है। हमें अपने सामाजिक परिवेश की भी चिंता करनी है और बिगड़ते हुए पर्यावरण की भी। वास्तव में पर्यावरण को बचाकर ही हम दीपावली को ऋतु परिवर्तन के पर्व के रूप में मनाते रह सकते हैं।