कोविड महामारी का मुकाबला करने के लिए आज से शुरू हो रहे 45 साल से अधिक आयु के सभी लोगों के टीकाकरण का अभियान सफल हो और कम समय में ज्यादा से ज्यादा लोगों को टीका लग सके, इसकी जितनी चिंता केंद्र और राज्य सरकारों को करनी होगी, उतनी ही उन्हें भी जो टीका लगवाने के पात्र हैं। यह आवश्यक है कि 45 साल से ऊपर के सभी लोग टीका लगवाने में तत्परता का परिचय दें। यह ठीक नहीं कि कुछ लोग टीका लगवाने के मामले में देखो और इंतजार करो की नीति पर चलते दिख रहे हैं। इसका कोई औचित्य इसलिए नहीं, क्योंकि टीकाकरण शुरू हुए तीन माह हो चुके हैं और अभी तक छह करोड़ से अधिक लोगों ने टीका लगवा भी लिया है। एक अनुमान है कि देश में 45 से 60 साल की आयु वालों की संख्या करीब 34 करोड़ है। यदि केंद्र सरकार की अपेक्षा यह है कि राज्य सरकारें अपने यहां के सभी पात्र लोगों को दो सप्ताह के अंदर टीका लगा दें तो फिर उसे उन्हें टीकाकरण केंद्र बढ़ाने के लिए कहना चाहिए। खुद राज्य सरकारों को भी यह देखना चाहिए कि क्या निजी क्षेत्र के और अस्पतालों को टीकाकरण की सुविधा दी जा सकती है? कम से कम महाराष्ट्र, पंजाब, तमिलनाडु जैसे जिन राज्यों में कोरोना संक्रमण के मामले अधिक संख्या में मिल रहे हैं, वहां 45 से कम आयु वालों के टीकाकरण की भी संभावनाएं टटोली जानी चाहिए।

जब यह माना जा रहा है कि कुछ राज्यों में कोरोना संक्रमण की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है, तब फिर टीकाकरण के तीसरे चरण को युद्ध स्तर पर आगे बढ़ाया जाना चाहिए। यह भी समय की मांग है कि जितनी जल्दी हो सके, 45 से कम आयु के लोगों के टीकाकरण का भी प्रबंध किया जाए। यह इसलिए आवश्यक है, क्योंकि कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर तेज होती जा रही है और यह अंदेशा उभर आया है कि वह पहली लहर जितनी घातक साबित हो सकती है। आम जनता को भी स्थिति की गंभीरता को समझना चाहिए। उसे न केवल टीका लगवाने के लिए तैयार रहना चाहिए, बल्कि कोरोना संक्रमण से बचे रहने के लिए जरूरी सतर्कता का परिचय भी देना चाहिए, क्योंकि दूसरी लहर में यह भी दिख रहा है कि अपेक्षाकृत कम आयु वाले भी कोरोना संक्रमण से ग्रस्त हो रहे हैं। देश के जिन इलाकों में संक्रमण की दर खतरनाक स्तर तक पहुंच चुकी है, वहां सभी आयु वर्ग के लोगों को टीकाकरण के दायरे में लाने पर भी विचार किया जाना चाहिए। यह कठिन काम इसलिए नहीं, क्योंकि जल्द ही कुछ और टीके उपलब्ध होने वाले हैं।