अफगानिस्तान के बदले हालात के बीच जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा को लेकर भारत सरकार की चिंता बढ़ जाना स्वाभाविक है। हाल के दिनों में केंद्र सरकार की ओर से जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा के लिए जो विभिन्न बैठकें की गई हैं, वे यही बताती हैं कि सुरक्षा एजेंसियों को सजगता बढ़ाने की जरूरत है। यह समय की मांग भी है, क्योंकि इसका खतरा बढ़ गया है कि पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठन जम्मू-कश्मीर में अपनी गतिविधियां बढ़ा सकते हैं। यह खतरा इसलिए और बढ़ गया है, क्योंकि पाकिस्तान में शरण पाने वाले आतंकी संगठनों और विशेष रूप से जैश एवं लश्कर के बारे में यह किसी से छिपा नहीं कि उनकी मिलीभगत तालिबान से है। यह भी जगजाहिर है कि इन आतंकी संगठनों की वही सोच है जो तालिबान की है। एक तथ्य यह भी है कि हाल में तालिबान ने यह कहा है कि उसे जम्मू-कश्मीर के मुसलमानों के लिए आवाज उठाने का अधिकार है। तालिबान नेताओं की ऐसी टिप्पणियों के बाद उनकी ओर से की गई इस घोषणा का कोई महत्व नहीं रह जाता कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल किसी दूसरे के खिलाफ नहीं किया जाएगा। सच तो यह है कि अब इसकी आशंका और बढ़ गई है कि तालिबान के साये में अफगानिस्तान में किस्म-किस्म के आतंकी संगठन और फले-फूलेंगे। स्पष्ट है कि इस क्रम में वे दूसरे देशों के लिए खतरा भी बनेंगे। इसी कारण एक के बाद एक देश यह कह रहे हैं कि अफगानिस्तान अन्य देशों के लिए खतरा नहीं बनना चाहिए।

जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियां तेज होने की आशंका इसलिए भी बढ़ गई है, क्योंकि पाकिस्तान ऐसे कोई संकेत नहीं दे रहा है कि वह कश्मीर में हस्तक्षेप करने और इसके तहत वहां आतंकियों को भेजने से बाज आने वाला है। अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद उसका दुस्साहस और अधिक बढ़ा है। इस दुस्साहस के चलते वह कश्मीर में आतंकियों की घुसपैठ बढ़ाने की कोशिश कर सकता है। उसकी इस कोशिश को नाकाम करने के लिए भारत को अतिरिक्त चौकसी बरतनी होगी। इसी के साथ भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को कश्मीर में पहले से सक्रिय आतंकियों पर दबाव भी बढ़ाना होगा। हालांकि जम्मू-कश्मीर में तैनात सुरक्षा बल सचेत हैं, लेकिन यह भी ध्यान रहे कि वहां सक्रिय आतंकी रह-रहकर सिर उठाते रहते हैं। वे छिटपुट आतंकी हमले करते ही रहते हैं। गत दिवस ही राजौरी में एक आतंकी को ढेर किया गया। भारत सरकार को जम्मू-कश्मीर में सक्रिय आतंकियों पर लगाम लगाने के साथ ही उनके दबे-छिपे मददगारों पर भी शिकंजा कसना होगा।