सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत के इस सीधे-सपाट बयान पर हंगामा खड़ा किया जाना हैरान करता है कि लोगों को गलत दिशा दिखाने वाले नेता नहीं कहे जा सकते। आखिर इसमें गलत क्या है? क्या सेना प्रमुख के बयान पर बेवजह बिफर रहे लोग उनके मुख से ऐसा कुछ सुनना चाह रहे थे कि लोगों को गलत दिशा दिखाने वाले भी नेता कहे जाने चाहिए?

सेना प्रमुख तो साधुवाद के पात्र हैं कि उन्होंने राजनीतिक रोटियां सेंकते और हिंसा का माहौल बनाते नेताओं को आईना दिखाया और बिना किसी लाग-लपेट यह भी कहा कि हमने देखा है कि कॉलेज और विश्वविद्यालयों में जो विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं उनमें हिंसा हो रही है।

यदि उन्होंने हिंसा और आगजनी करती भीड़ का नेतृत्व करने वालों को सही नेतृत्व की संज्ञा देने से इन्कार कर दिया तो विपक्षी नेताओं को मिर्ची क्यों लग रही है? कहीं इसलिए तो नहीं कि वे खुद भी उन नेताओं में शामिल हैं जो हिंसा और अराजकता के लिए लोगों को भड़काकर सड़कों पर उतार रहे हैं?

यदि नहीं तो फिर उन नेताओं की गिनती करके बताएं जो आगजनी और पत्थरबाजी की निंदा कर रहे हों? जिन्हें यह लगता है कि सेना प्रमुख विरोध प्रदर्शन की आलोचना कर रहे हैं उन्हें उनके वक्तव्य को फिर से सुनना और समझना चाहिए।

उन्होंने विरोध के नाम पर फैलाई जा रही हिंसा और अराजकता की आलोचना की है। ऐसा करना तो हर भारतीय का धर्म है। नागरिकता कानून के विरोध के बहाने जो अराजकता हुई उसने देश की आंतरिक सुरक्षा को लेकर भी सवाल खड़े किए।

आखिर कोई यह सोच भी कैसे सकता है कि आंतरिक सुरक्षा पर असर डालने वाली व्यापक हिंसा पर सेना प्रमुख मौन रहें? किसी भी सैन्य अधिकारी से यह अपेक्षा क्यों की जानी चाहिए कि वह इस भय से आंतरिक सुरक्षा पर असर डालने वाली घटनाओं पर बोलने से बचे कि कुछ नेता उसके बयान की मनमानी व्याख्या करके हाय-तौबा मचा सकते हैं?

बिपिन रावत से तो यह अपेक्षा बिलकुल भी नहीं की जानी चाहिए, क्योंकि वह राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित करने वाले हर मसले पर बेबाकी से बोलने के लिए जाने जाते हैं। यह हास्यास्पद है कि जो नेता सेना प्रमुख को यह नसीहत दे रहे हैं कि उन्हें संभलकर बोलना चाहिए उन्हें सबसे पहले यह देखना चाहिए कि वे खुद कितना संभल कर बोलते हैं?

अगर कोई विपक्षी नेता यह कहता है कि नागरिकता कानून के विरोध में अराजकता नहीं फैलाई गई तो यह निरा झूठ ही नहीं, देश की आंखों में धूल झोंकने की कोशिश भी है। बिपिन रावत ने इसी कोशिश को इशारे से बेनकाब किया है।