कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की ओर से राफेल सौदे को लेकर किए गए दावे पर गोवा के मुख्यमंत्री और पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रीकर का प्रतिवाद उन्हें केवल झूठा ही नहीं साबित कर रहा, बल्कि राजनीतिक शिष्टाचार की मर्यादा का उल्लंघन करने वाला भी बता रहा है। आखिर राहुल गांधी को वह सब कहने की क्या जरूरत थी जिसका जिक्र मनोहर पर्रीकर ने किया ही नहीं और वह भी तब जब राफेल सौदे को लेकर पहले ही उनके तमाम झूठ पकड़े जा चुके हैंं? यदि राहुल गांधी को यह लगता है कि इस सौदे में कोई गड़बड़ी हुई है तो उन्हें उसके प्रमाण उपलब्ध कराने चाहिए। वह ऐसा करने के बजाय जिस तरह नित-नए झूठ का सहारा ले रहे हैैं उससे उनकी विश्वसनीयता ही छीज रही है।

यह एक विडंबना ही है कि वह यह नहीं देख पा रहे हैं कि उनका एक दावा दूसरे दावे की काट करता ही दिखता है। एक समय वह यह दावा करने में लगे हुए थे कि मनोहर पर्रीकर राफेल सौदे से संबंधित फाइलें अपने बेडरूम रखे हुए हैैं। इस दावे के जरिये यह कहने की कोशिश की जा रही थी कि मनोहर पर्रीकर ने ये फाइलें इसलिए अपने पास रखी हुई हैैं ताकि उन्हें बीमारी के बहाने उनके पद से हटा न दिया जाए। लगता है कि राहुल गांधी अपने ही इस विचित्र दावे को भूल गए, क्योंकि अब वह यह दावा कर बैठे कि मनोहर पर्रीकर कह रहे हैैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें राफेल सौदे के बारे में कुछ बताया ही नहीं। जाहिर है कि ये दोनों दावे सही नहीं हो सकते।

बेहतर होता कि राहुल गांधी राफेल सौदे पर कुछ नया-अनोखा कहने के पहले यह याद कर लेते कि वह इसी मसले पर पहले क्या कह चुके हैैं? यह पहली बार नहीं जब उनके किसी दावे का खंडन किया गया हो। फ्रांस सरकार और राफेल बनाने वाली कंपनी के सीईओ भी उनके दावों का खंडन कर चुके हैैं। इससे भी महत्वपूर्ण यह है कि खुद सुप्रीम कोर्ट राफेल सौदे को सही बता चुका है। क्या राहुल गांधी सुप्रीम कोर्ट से भी बड़े हैैं? पता नहीं राहुल अपने बारे में क्या सोचते हैैं, लेकिन यदि वह यह समझ रहे हैैं कि उनके कहे पर जनता आसानी से यकीन कर लेगी तो यह संभव नहीं। इसलिए और भी नहीं, क्योंकि वह राफेल सौदे में कथित गड़बड़ी के कोई सुबूत पेश नहीं कर पा रहे हैैं।

यह समझ आता है कि वह राफेल मामले को बोफोर्स सरीखा बनाने के लिए बेचैन हैैं, लेकिन इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि बोफोर्स तोप सौदे के दलाल भी सामने आ गए थे और दलाली की रकम भी। क्या इससे हास्यास्पद और कुछ हो सकता है कि राहुल गांधी यह प्रतीति कराते दिखे कि मनोहर पर्रीकर ने उनको एक ऐसी बात बता दी जिससे उन्हें प्रधानमंत्री के खिलाफ निशाना साधने में आसानी हो सके? यदि राहुल गांधी अपनी छवि की तनिक भी चिंता कर रहे हैैं तो उन्हें राफेल पर अनाप-शनाप बोलने से बचना चाहिए। उन्हें यह समझ आए तो और बेहतर कि वह एक झूठ के लिए हजार झूठ का सहारा लेते दिख रहे हैैं।