खौफनाक हिंसा से उबर रही दिल्ली के दामन पर जो दाग लगा उसे मिटाने के लिए यह आवश्यक ही नहीं, अनिवार्य है कि हत्या और आगजनी के लिए जिम्मेदार तत्वों की पहचान कर उन्हें सख्त सजा देना सुनिश्चित किया जाए। चूंकि बड़े पैमाने पर हुई हिंसा यह बता रही है कि उसके पीछे सुनियोजित साजिश और पूरी तैयारी थी इसलिए हर घटना की तह तक भी जाने की जरूरत है।

दिल्ली की भीषण हिंसा यह बता रही है कि किसी न किसी स्तर पर दिल्ली पुलिस और साथ ही सरकार से गफलत हुई। वास्तव में इसी कारण वह निंदा और आलोचना के निशाने पर है। दिल्ली पुलिस और साथ ही मोदी सरकार को इस आलोचना का सामना करना ही होगा। आखिर दिल्ली की सुरक्षा सुनिश्चित करना उसकी ही जिम्मेदारी थी।

जिस मोदी सरकार के अब तक के कार्यकाल में देश में कोई बड़ा दंगा नहीं हुआ उसकी नाक के नीचे यानी राजधानी दिल्ली में इतने भीषण दंगे हुए कि 35 से अधिक लोगों की जान चली गई। ये दंगे तब हुए जब अमेरिकी राष्ट्रपति भारत में थे।

यह मानने के अच्छे-भले कारण हैं कि अमेरिकी राष्ट्रपति के आगमन को देखते हुए ही दिल्ली में हिंसा भड़काई गई। इसका मकसद अंतरराष्ट्रीय समुदाय के समक्ष देश की बदनामी कराना और भारत सरकार को नीचा दिखाने के अलावा और कुछ नहीं हो सकता।

केवल इसकी जांच ही नहीं होनी चाहिए कि दिल्ली पुलिस अंदेशे को भांपने में नाकाम रहने के साथ ही हिंसक तत्वों पर लगाम क्यों नहीं लगा सकी, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि वह भविष्य के लिए जरूरी सबक सीखे। इस पर हैरानी नहीं कि दिल्ली में हिंसा को लेकर सस्ती किस्म की राजनीति शुरू हो गई है। ऐसा हमेशा होता है और फिलहाल राजनीति के इस गंदे तरीके का कोई निदान नहीं दिखता।

यह हास्यास्पद ही है कि कांग्रेस के नेताओं ने राष्ट्रपति के समक्ष गुहार लगाने के पहले इस पर गौर करना जरूरी नहीं समझा कि सड़क पर कब्जा करके दिए जा रहे शाहीन बाग के धरने को उनका सहयोग और समर्थन हासिल है। नि:संदेह दिल्ली के माहौल को खराब करने में इस धरने की भी भूमिका है। लाखों लोगों की नाक में दम करने वाले इस धरने के समर्थन में भी भड़काऊ बयान दिए जा रहे थे और विरोध में भी।

यह संभव है कि न्यायपालिका की सख्ती के बाद भड़काऊ बयान देने वालों के खिलाफ कार्रवाई हो जाए, लेकिन आखिर उन नेताओं के खिलाफ कार्रवाई कौन करेगा जिन्होंने नागरिकता संशोधन कानून को लेकर यह माहौल बनाया कि वह मुसलमानों के खिलाफ है? इसमें संदेह नहीं कि ऐसा माहौल बनाने वाले भी दिल्ली के गुनहगार हैं।