आखिर वो कौन लोग हैं, जो इस विपदा की घड़ी में अपनी आत्मा को मारकर राष्ट्र के जन-धन को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं। कोरोना वायरस से लड़ने के लिए इम्युनिटी बढ़ाने और कोरोना संक्रमण से रोकथाम में अन्य उपयोगी और आवश्यक दवाओं की कालाबाजारी शुरू हो चुकी है। ऐसे किसी अवसर की ताक में रहने वाले पूरी तरह सक्रिय हो गए हैं। कुछ आवश्यक दवाएं या तो बाजार में आसानी से मिल नहीं रही हैं या फिर ओवररेटिंग हो रही है। 

मजबूरी में आमलोगों को भले ही जेब ढीली करनी पड़ रही है, लेकिन इससे परेशानियां भी काफी बढ़ी हैं। ऐसे समय में जब न केवल आवश्यक दवाओं की उपलब्धता पर्याप्त रूप से होनी चाहिए, बल्कि उनकी कीमतों पर भी नियंत्रण होना चाहिए। आवश्यक दवाओं, ऑक्सीजन आइपी, सैनिटाइजर व मास्क आदि की जमाखोरी और कालाबाजारी ने सरकार को चिंता में डाल दिया है। ऐसे लोग किसी भी रूप में माफी के लायक नहीं हैं। महामारी से उपजे संकट की इस घड़ी में जहां राष्ट्र के लिए एकजुट होकर सभी को सरकार का साथ देना चाहिए, ऐसे में कुछ लोगों के स्वार्थ से समस्या और बढ़ सकती है।

हालांकि सरकार ने ऐसे लोगों से निपटने के लिए आवश्यक आदेश दे दिए हैं और प्रदेश के औषधि अनुज्ञापन एवं नियंत्रण प्राधिकारी ने कार्यवाही भी शुरू करा दी है। जिलों के संबंधित अधिकारियों को ज्यादा सक्रियता दिखाने को कहा जा रहा है, लेकिन सवाल है कि आखिर वो कौन लोग हैं, जो इस विपदा की घड़ी में अपनी आत्मा को मारकर राष्ट्र के जन-धन को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं। 

क्या ऐसे लोगों से ऐसी कोई उम्मीद की जा सकती है कि वे कभी राष्ट्र के काम आएंगे। नैतिकता, जिम्मेदारी और राष्ट्र-राज्य और समाज के प्रति अपने कर्तव्यों की तिलांजलि देकर मानवता के दुश्मन बने इन जमाखोरों और कालाबाजारियों को कठोरतम दंड का प्रविधान होना चाहिए।

अभी तक दंड का जो प्रविधान है, वह शायद नाकाफी है, इसीलिए कुछ लोग राष्ट्रीय विपदा की घड़ी का गलत फायदा उठा रहे हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि केवल सख्ती दिखाने के बजाय शासन-प्रशासन एक अभियान चलाकर ऐसे लोगों को अति शीघ्र सीखचों के पीछे पहुंचाएगा, तभी राहत की कुछ उम्मीद की जा सकती है।