दिल्ली में अनाधिकृत बस्तियों को नियमित करने का केंद्रीय कैबिनेट का फैसला एक बड़ी संख्या में लोगों को राहत देने वाला तो है, लेकिन इससे शहरी ढांचे को नियोजित करने के लक्ष्य को हासिल करने में कठिनाई भी आने वाली है। अपने देश में अवैध बस्तियों को नियमित करने के फैसले नए नहीं। आम तौर पर चुनाव के पहले ऐसे फैसले लिए जाते हैैं। केंद्र सरकार की तरह राज्य सरकारें भी रह-रहकर इस तरह के फैसले लेती रहती हैैं। ऐसा करके वे अपने राजनीतिक हित का संधान ही करती है। इस पर हैरत नहीं कि केंद्र सरकार ने जैसे ही दिल्ली में 1797 अनियमित कॉलोनियों को नियमित करने का फैसला किया, वैसे ही दिल्ली सरकार ने इस फैसले का समर्थन कर दिया। उसने यह भी बताया कि इन कालोनियों में क्या-क्या काम किए गए हैैं?

अनियमित कॉलोनियों को नियमित करने का मतलब है समस्या को समाधान के तौर पर स्वीकार करना। दिल्ली के साथ देश के अन्य शहरों में अनियमित कॉलोनियों को नियमित करने के फैसले यह भी बताते हैैं कि सरकारें शहरों को व्यवस्थित करने और खासकर उनमें बढ़ती आबादी को आवास सुविधा उपलब्ध कराने में नाकाम हैैं। इस नाकामी के चलते ही हमारे शहर समस्याओं से घिरते जा रहे हैैं। वे बेतरतीब विकास का पर्याय बनते जा रहे हैैं और उनकी खूबसूरती भी नष्ट होती जा रही है।

अगर अनियमित कॉलोनियों को नियमित करने का सिलसिला थमा नहीं तो हमारे शहर बेतरतीब विकास का पर्याय बनकर रह जाएंगे। इस तरह के फैसले किसी न किसी स्तर पर सरकारी और गैर सरकारी जमीनों पर कब्जा करने की प्रवृत्ति को बल ही प्रदान करते हैैं। यह सही है कि जब अनियमित कॉलोनियों को नियमित किया जाता है तो वहां रह रहे लाखों लोगों को राहत मिलती है, लेकिन यह नहीं कहा जा सकता कि ये लाखों लोग बेहतर माहौल और पर्यावरण भी हासिल कर पाते हैैं।

यह खेद की बात है कि अवैध कॉलोनियों को वैध करने की मजबूरी के बाद भी उन कारणों पर गौर करने से इन्कार किया जा रहा है जिनके चलते ऐसी कॉलोनियां आकार लेती हैैं और फिर समस्या बन जाती है। ऐसी कॉलोनियां नेताओं और नौकरशाहों के संरक्षण से फलती-फूलती हैैं। समय के साथ उनमें बिजली, पानी आदि की सुविधा पहुंच जाती है। इसके बाद जब उनमें आबादी बढ़ जाती हैैं तोे फिर वे वोट बैैंक की राजनीति का जरिया बन जाती हैैं। इसी के साथ शहरों को संवारने की योजनाएं हाशिये पर चली जाती हैैं। अच्छा हो कि हमारे नीति-नियंता इस पर विचार करें कि आखिर अनियमित कॉलोनियों को नियमित करके देश के शहरों को स्मार्ट कैसे बनाया जा सकता है?