प्रधानमंत्री ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा करके देश को केवल चौंकाया ही नहीं, बल्कि यह संदेश भी दिया कि उन्होंने इस बड़े पैकेज के जरिये आपदा को अवसर में बदलने के लिए कमर कस ली है हैं। इसीलिए उन्होंने इस पैकेज को आत्मनिर्भर भारत अभियान नाम दिया। इसका सीधा अर्थ है कि वह आर्थिक पैकेज के जरिये केवल पस्त पड़े कारोबार जगत को संकट से उबारने ही नहीं जा रहे हैं, बल्कि देश की संपूर्ण अर्थव्यवस्था का कायापलट करने की तैयारी भी कर रहे हैं। यह पैकेज कारोबार जगत के साथ-साथ आम जनता का भी मनोबल बढ़ाने वाला साबित होना चाहिए।

नि:संदेह बीते कुछ दिनों से आर्थिक पैकेज की घोषणा की बेसब्री से प्रतीक्षा की जा रही थी, क्योंकि इसके पहले सरकार और रिजर्व बैंक की ओर से जो राहत दी गई थी वह कोरोना वायरस के संक्रमण से उपजे भीषण संकट को देखते हुए अपर्याप्त थी। एक और आर्थिक पैकेज की उम्मीद के बावजूद इसकी अपेक्षा शायद ही किसी को रही हो कि वह जीडीपी के 10 प्रतिशत के बराबर होगा और पिछले दोनों पैकेज को मिलाकर उसकी कुल राशि 20 लाख करोड़ रुपये हो जाएगी। जीडीपी के मुकाबले इतना भारी-भरकम पैकेज तो कई विकसित देशों ने भी नहीं दिया।

प्रधानमंत्री की ओर से 20 लाख करोड़ रुपये की अप्रत्याशित राशि वाले आर्थिक पैकेज की घोषणा के बाद अब प्रतीक्षा है उसके विस्तृत विवरण की। इसके बावजूद प्रधानमंत्री के संबोधन से इसका आभास तो हो ही गया कि इस पैकेज में किसानों, रोज कमाने-खाने वालों के साथ-साथ छोटे-मझोले कारोबारियों का खास ध्यान रखा जाएगा। इसके अलावा उसके माध्यम से सप्लाई चेन को सुदृढ़ करने, उत्पादों की गुणवत्ता बेहतर करने, स्थानीय उत्पादों की खपत बढ़ाने और तकनीक का इस्तेमाल बढ़ाने का काम प्राथमिकता के आधार पर किया जाएगा। स्पष्ट है कि यह एक चुनौती भरा काम है, लेकिन इस चुनौती को छोटे-बड़े कारोबारियों को न केवल स्वीकार करना होगा, बल्कि उसे एक अवसर के रूप में लेना होगा। 

वास्तव में इससे ही देश को आत्मनिर्भर बनाने के लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। चूंकि प्रधानमंत्री ने राहत पैकेज के साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि आवश्यक र्आिथक सुधारों का मार्ग भी प्रशस्त किया जाएगा इसलिए कारोबार जगत को अपने हिस्से की जिम्मेदारी निभाने और सरकार के साथ-साथ आम जनता की अपेक्षाओं पर भी खरा उतरने की तैयारी कर लेनी चाहिए। हर आपदा में कुछ अवसर छिपे होते हैं। अब जब सरकार ने इन अवसरों का लाभ उठाने की रूपरेखा बना ली है तब फिर कारोबार जगत को भी पीछे नहीं रहना चाहिए।