देशव्यापी लॉकडाउन को 21 दिनों से आगे बढ़ाने की आधारहीन खबरों का खंडन करने के लिए जिस तरह कैबिनेट सचिव को आगे आना पड़ा उससे यह भी पता चल रहा कि केंद्रीय सत्ता को अफवाहों से भी निपटने की जरूरत पड़ रही है। जब हर दिन हालात बदल रहे हैं और उनके हिसाब से कदम भी उठाने पड़ रहे हैं तब फिर ऐसी अटकलबाजी का कोई मतलब नहीं कि लॉकडाउन को 14 अप्रैल के बाद भी जारी रखने की तैयारी की जा रही है। यह अटकलबाजी एक तरह की शरारत ही है। नि:संदेह कोरोना वायरस के संक्रमण का फैलाव एक बड़ी चुनौती है, लेकिन अभी तक के हालात यही बयान कर रहे हैं कि 14 अप्रैल तक इस चुनौती से एक बड़ी हद तक पार पाया जा सकता है।

ऐसा तभी होगा जब लॉकडाउन को सफल बनाकर इस वायरस के बढ़ते संक्रमण पर लगाम लगाई जा सकेगी। सभी को न केवल ऐसी कामना करनी चाहिए कि ऐसा ही हो, बल्कि शासन-प्रशासन को हरसंभव सहयोग भी देना चाहिए। इस सहयोग का सबसे सरल तरीका यही है कि धैर्य और अनुशासन का परिचय देते हुए सोशल डिस्टेंसिंग पर जोर दिया जाए यानी सावर्जनिक मेल-मिलाप से बचा जाए।

यह सही है कि महानगरों से मजदूरों और कामगारों के पलायन ने सोशल डिस्टेंसिंग के लक्ष्य को बाधित किया है, लेकिन राज्य सरकारों की सक्रियता से बाधाएं दूर होने के आसार दिखने लगे हैं। इसी के साथ इसके भी आसार उभरने लगे हैं कि हमारा देश कोरोना वायरस के संक्रमण के व्यापक फैलाव वाले दौर यानी तीसरे चरण में जाने से बच सकता है। चिकित्सा अनुसंधान परिषद ने एक बार फिर रेखांकित किया है कि भारत में अभी तक सामुदायिक स्तर पर संक्रमण के संकेत नहीं मिले हैं। इन स्थितियों में इस पर विचार किया जाना चाहिए कि क्या जैसे आवश्यक सेवाओं से जुड़ी औद्योगिक-व्यापारिक गतिविधियां संचालित हो रही हैं वैसे ही अन्य कारोबारी गतिविधियों को भी शुरू किया जाए? इस मामले में प्रधानमंत्री की ओर से गठित 11 अधिकार प्राप्त समूहों में से उस समूह को सक्रिय होने की आवश्यकता है जिसका गठन कोरोना के कहर से थमी-सहमी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए किया गया है।

बेहतर हो कि यह समूह इसकी पड़ताल करे कि आवश्यक सेवाओं से इतर कारोबारी गतिविधियों को कैसे शुरू किया जाए? इस संभावना को टटोलते समय यह प्राथमिकता के आधार पर सुनिश्चित करना होगा कि अर्थव्यवस्था के चक्के को गति देने वाली कारोबारी गतिविधियों को हरी झंडी देने के पहले सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर जरूरी उपाय किए जाएं। चूंकि खतरा बड़ा है इसलिए किसी तरह के जोखिम की कोई गुंजाइश नहीं।