नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ बुलाई गई विपक्षी दलों की बैठक से बसपा, तृणमूल कांग्रेस, डीएमके और आम आदमी पार्टी ने जिस तरह किनारा किया उससे यही पता चलता है कि ये दल कांग्रेस के नेतृत्व को स्वीकार करने को तैयार नहीं। हैरानी है कि ऐसे ही संकेत इस बैठक से बाहर रहकर उस शिवसेना ने भी दिए जो महाराष्ट्र में कांग्रेस के साथ सत्ता में है। विपक्ष के इस बिखराव से यह भी स्पष्ट हो जाता है कि नागरिकता संशोधन कानून के विरोध के बहाने केवल अपनी-अपनी राजनीति चमकाने की कोशिश की जा रही है।

क्या यह विचित्र नहीं कि जो ममता बनर्जी इस कानून का विरोध करने के लिए सड़कों पर उतरने में संकोच नहीं कर रही हैैं उन्होंने अपने किसी सांसद को भी विपक्षी दलों की इस बैठक में भेजना जरूरी नहीं समझा? विपक्षी दलों ने अपनी बैठक के बाद इस आशय का प्रस्ताव पारित किया कि नागरिकता संशोधन कानून को तुरंत वापस लिया जाए और जनसंख्या रजिस्टर यानी एनपीआर तैयार करने की पहल बंद की जाए। यह प्रस्ताव अपने आप यह बता देता है कि इस कानून के विरोध के बहाने लोगों को भ्रमित और भयभीत करने की सस्ती राजनीति की जा रही है।

विपक्षी दलों और खासकर लंबे समय तक सत्ता में रही कांग्रेस को यह सामान्य जानकारी तो होनी ही चाहिए कि संसद से पारित कोई कानून इस तरह वापस नहीं होता। ऐसा होने का मतलब है कि संविधान और लोकतंत्र का उपहास उड़ना। यह प्रस्ताव तो नागरिकता कानून के विरोध में सड़कों पर उतरे उन लोगों की ही याद दिला रहा है जो यह मान बैठे हैैं कि वे धरना देकर संविधान बचाने में लगे हुए हैैं। विडंबना यह है कि विपक्षी दलों के साथ मीडिया का भी एक हिस्सा ऐसे लोगों को यही घुट्टी पिला रहा है कि वे संविधान का बचाव करने में लगे हुए हैैं।

यह अंध विरोध की अतार्किक राजनीति की पराकाष्ठा ही है कि जो विपक्षी दल नागरिकता संशोधन कानून वापस लेने की मांग कर रहे हैैं उनमें से अनेक ने इस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटा रखा है। आखिर वे अपनी ही याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की प्रतीक्षा करने को क्यों नहीं तैयार? आखिर संविधान की दुहाई दे रहे विपक्षी दल यह साधारण सी बात समझने से क्यों इन्कार कर रहे हैैं कि कानून न तो सड़कों पर बनते हैैं और न ही वे सड़क पर खारिज होते हैैं? सवाल यह भी है कि विपक्षी दल जिस मसले पर देश की जनता को एकजुट करना चाह रहे हैैं उस पर खुद ही एकजुटता क्यों नहीं दिखा पा रहे हैैं?