नागरिक उड्डयन महानिदेशालय यानी डीजीसीए ने स्पाइस जेट को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए जिस तरह यह कहा कि वह सुरक्षित, प्रभावशाली और भरोसेमंद विमान सेवा देने में नाकाम रही, उसे इस विमानन कंपनी को गंभीरता से लेना चाहिए। नि:संदेह इसका कारण केवल यह नहीं कि मंगलवार को स्पाइस जेट के दो विमानों को तकनीकी खामी के कारण आपात स्थिति में उतारना पड़ा। इस दुर्योग के अलावा एक तथ्य यह भी है कि 18 दिनों के भीतर तकनीकी गड़बड़ी के आठ मामले सामने आ चुके हैं।

चूंकि इसे सामान्य नहीं कहा जा सकता, इसलिए स्पाइस जेट प्रबंधन को चिंतित होने के साथ उन कारणों की तह तक भी जाना चाहिए, जिनके चलते बार-बार तकनीकी खामी के मामले सामने आ रहे हैं। यह इसलिए आवश्यक है ताकि हवाई यात्रा करने वालों का भरोसा बना रहे। वास्तव में सुरक्षित हवाई यात्रा को सुनिश्चित करने की जितनी जिम्मेदारी विमानन कंपनियों की है, उतनी ही डीजीसीए की भी। वह केवल दिशा निर्देश अथवा नोटिस जारी कर अपने कर्तव्य की इतिश्री नहीं कर सकता। उसे खुद को एक सक्षम एवं प्रभावी नियामक संस्था के रूप में सक्रिय करना होगा और यह देखना होगा कि उसके निर्देशों एवं मानकों का सही तरह से पालन हो।

यह अपेक्षा इसलिए, क्योंकि हाल के दिनों में कुछ और विमानन कंपनियों के विमानों को तकनीकी खामी से दो-चार होना पड़ा है। गत दिवस ही विस्तारा एयरलाइंस के एक विमान के इंजन में खराबी का मामला सामने आया। इसके पहले इंडिगो के एक विमान के केबिन से धुआं निकलने की शिकायत सामने आई थी।

एक ऐसे समय जब निजी विमानन कंपनियों के साथ उनके विमान भी बढ़ रहे हैं, तब फिर हवाई यात्रा को सुरक्षित बनाने के उपायों पर और अधिक ध्यान देना समय की मांग है। इस मांग की पूर्ति इसलिए प्राथमिकता के आधार पर होनी चाहिए, क्योंकि हाल के समय में विमान यात्रियों की संख्या तेजी से बढ़ी है। इसमें उड़ान योजना का बड़ा हाथ है। इस योजना के चलते आम आदमी भी हवाई यात्रा करने में समर्थ हुआ है।

एक अनुमान है कि अगले तीन वर्षों में हवाई यात्रियों की संख्या दोगुनी से अधिक हो सकती है। स्पष्ट है कि इसके साथ विमानों की आवाजाही भी बढ़ेगी। इसे देखते हुए केंद्र सरकार छोटे शहरों को हवाई मार्ग से जोड़ने पर विशेष ध्यान दे रही है। इसके चलते नए-नए हवाईअड्डे भी बन रहे हैं। नए हवाईअड्डे बनने और विमानन कंपनियों के साथ हवाई यात्रियों की संख्या बढ़ने से देश की बढ़ती सामर्थ्‍य तो रेखांकित होती ही है, अर्थव्यवस्था को भी गति मिलती है। नि:संदेह इस सिलसिले को तभी कायम रखा जा सकता है, जब हवाई यात्रा सुरक्षित और भरोसेमंद हो।