राजधानी में 105 वर्गमीटर आकार तक के भूखंड पर निर्माण करने वाले को बिल्डिंग प्लान से छूट देकर केंद्र सरकार ने यह साबित कर दिया है कि वह राजधानीवासियों को छत मुहैया कराने को लेकर कृत संकल्प है। 33 साल बाद केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने दिल्ली बिल्डिंग बायलाज (भवन उपनियम) में परिवर्तन किया है। बायलाज को सरल, सहज और लोगों की सहूलियत के अनुकूल बनाकर केंद्र सरकार ने यह साफ किया है कि वह हर हाल में दिल्लीवालों और निवेशकों के साथ है और उनकी बेहतरी के लिए कोई भी कदम उठाने से पीछे नहीं हटेगी। केंद्र ने लोगों को आसानी से घर बनाने की अनुमति दिलाने के लिए सिंगल विंडो सिस्टम का प्रावधान किया है। इसका फायदा यह होगा कि अब लोगों को विभिन्न एजेंसियों के चक्कर नहीं काटने होंगे। सिर्फ एक ऑनलाइन आवेदन से सभी तरह की अनुमति 30 दिनों के भीतर मिल सकेगी। पहले लोगों को कई विभागों से अनुमति लेनी होती थी जिससे निर्माण कार्य शुरू करने से पहले ही काफी वक्त लग जाता था। साथ ही सभी विभागों की निर्धारित फीस को अलग-अलग जमा कराने की जरूरत भी समाप्त हो गई है। सिर्फ शहरी विकास निकाय के पास ऑनलाइन फीस जमा करके ही इससे निजात पाई जा सकेगी। इससे भी अच्छी बात यह है कि अब लोगों को सिर्फ 14 दस्तावेज ही जमा कराने होंगे और विभिन्न नागरिक एजेंसियों को सिर्फ 15 दिनों में ही इस पर रिपोर्ट देनी होगी। उम्मीद की जानी चाहिए कि नए बायलाज से लोगों को घर बनाने में आसानी होगी।

दिल्ली में अपने घर का सपना हर किसी का होता है। भूखंड खरीदने के बाद भी अब तक लोगों को नगर निगम से अनुमति लेने में काफी परेशानी होती थी। नक्शा पास कराने के बाद भी नगर निगम से लेकर पुलिसवाले तक निर्माण कराने वालों को परेशान करते थे। ऐसे में दिल्लीवासी न चाहते हुए भी इन लोगों को रिश्वत देने को मजबूर थे। सिर्फ बायलाज बदलने से ही काम नहीं चलेगा। सबसे जरूरी यह है कि नगर निगम कर्मियों और पुलिसकर्मियों की मनमानी से इन्हें निजात मिले। इसके लिए नगर निगम और पुलिस विभाग के आला अधिकारियों को चाहिए कि वह समय-समय पर मौका मुआयना कर यह पता करें कि उनके कर्मचारी इसकी आड़ में कोई गड़बड़ी न कर सकें।

[ स्थानीय संपादकीय : दिल्ली ]