वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भले ही सीधे तौर पर यह मानने से इन्कार कर रही हों कि अर्थव्यवस्था सुस्ती की चपेट में आ गई है, लेकिन यथार्थ यही है कि मंदी ने दस्तक दे दी है। जब आर्थिक विकास दर के आंकड़ों के साथ अर्थव्यवस्था को गति देने में सहायक बनने वाले कई प्रमुख सेक्टर निराशाजनक तस्वीर पेश कर रहे हों तब मंदी की हकीकत को स्वीकार करना ही समझदारी है। अगर मंदी का माहौल नहीं है तो फिर क्या कारण है कि एक साथ कई सेक्टर गिरावट से ग्रस्त हैं?

वित्त मंत्री मंदी के पीछे के उन कारणों से असहमत हो सकती हैं जो पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने गिनाए, लेकिन वह इसकी अनदेखी नहीं कर सकतीं कि अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी पड़ गई है और उसका असर भी दिखने लगा है। इस असर को वह महसूस कर रही हैं, इसका प्रमाण उनका यह कथन है कि वह उद्योग जगत के प्रतिनिधियों से मिल रही हैं और उनकी समस्याएं सुन रही हैं। फिलहाल यह स्पष्ट नहीं कि उद्योग जगत सरकार से क्या चाहता है, लेकिन जरूरी केवल यह नहीं कि उसकी समस्याओं का समाधान हो, बल्कि यह भी है कि सरकार मौजूदा हालात से निपटने के लिए हर संभव उपाय करती हुई दिखे। इससे ही उद्योग जगत के साथ आम आदमी को भरोसा पैदा होगा।

सरकार को इससे परिचित होना चाहिए कि आर्थिक माहौल के निर्माण में भरोसे की एक बड़ी भूमिका होती है। स्पष्ट है कि सरकार को मंदी के कारणों का निवारण करने के साथ ही सकारात्मक माहौल का निर्माण करने के लिए भी सक्रिय होना होगा। यह इसलिए आवश्यक है, क्योंकि आसार इसी के अधिक हैं कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के आंकड़े भी जीडीपी में गिरावट के रुख को दर्शाएं। इस गिरावट के सिलसिले से जल्द उबरने के लिए जो भी कदम उठाए जा रहे हैं उनका जमीन पर क्या असर हो रहा है, इसकी सतत निगरानी भी आवश्यक है।

वित्त मंत्री की ओर से आर्थिक माहौल को मजबूती देने के लिए हाल में कई कदम उठाए गए हैं और उनकी ओर से यह संकेत दिए गए कि ऐसे ही कदम आगे भी उठाए जाएंगे। बेहतर हो कि ये कदम ऐसे हों जिससे उद्योग जगत कहीं अधिक सक्षम और प्रतिस्पर्धी बन सके। नि:संदेह इसके लिए उद्योग जगत को खुद भी सक्रिय होना होगा। जहां उसे अपने बलबूते आगे बढ़ने की क्षमता अर्जित करनी होगी वहीं सरकार को यह देखना होगा कि इसके लिए अनुकूल माहौल कैसे निर्मित हो? इस क्रम में यह समझना ही होगा कि श्रम कानूनों में बदलाव के साथ अन्य लंबित सुधारों को आगे बढ़ाने और देरी नहीं होनी चाहिए।