यस बैंक के संस्थापक राणा कपूर की गिरफ्तारी के साथ ही ऐसे तमाम तथ्य सामने आने शुरू हो गए हैं जो इस बैंक के डूबने की कगार पर पहुंच जाने के कारण बयान कर रहे हैं। ये तथ्य हैरान करने और साथ ही यह बताने वाले भी हैं कि यस बैंक के नीति-नियंता कर्ज देने के नाम पर किस तरह बंदरबांट कर रहे थे? नि:संदेह यह तथ्य भी हैरान करने वाला है कि राणा कपूर ने एमएफ हुसैन की बनाई हुई राजीव गांधी की एक पेंटिंग प्रियंका गांधी वाड्रा से दो करोड़ रुपये में खरीदी थी। स्वाभाविक तौर पर इस कारण प्रियंका गांधी और साथ ही कांग्रेस भाजपा के निशाने पर है। भले ही कांग्रेस की ओर से यह साबित करने की कोशिश की जा रही हो कि प्रियंका गांधी ने वैध तौर-तरीकों से पेंटिंग बेची, लेकिन यह बात सहज स्वीकार नहीं होती कि आखिर उन्हें पिता की स्मृति बेचने की जरूरत क्यों पड़ी? देश के सबसे विख्यात चित्रकार एम एफ हुसैन ने राजीव गांधी की पेंटिंग कांग्रेस को उपहारस्वरूप दी थी।

अगर एक क्षण के लिए यह मान लिया जाए कि कांग्रेस के लिए गांधी परिवार ही पार्टी है और इस नाते यह पेंटिंग प्रियंका गांधी की निजी संपत्ति बन गई तब भी यह सवाल तो उठेगा ही कि आखिर उसे बेच क्यों दिया गया? क्या कोई पिता की स्मृति को इस तरह बेचता है? क्या यह पेंटिंग कांग्रेस के कार्यालय की शोभा नहीं बढ़ा सकती थी? क्या कांग्रेस के कार्यालय या गांधी परिवार के आवास में यह पेंटिंग सुरक्षित नहीं रखी जा सकती थी? क्या ऐसा कुछ है कि प्रियंका आर्थिक संकट से जूझ रही थीं और उनके पास पिता की स्मृति को बेचने के अलावा और कोई उपाय नहीं रह गया था?

सवालों का सिलसिला केवल यहीं नहीं समाप्त होता, क्योंकि यह भी सामने आया है कि मुंबई से कांग्रेस के तत्कालीन सांसद र्मिंलद देवड़ा इसमें अतिरिक्त दिलचस्पी ले रहे थे कि राणा कपूर राजीव गांधी की पेंटिंग खरीद ही लें। यह दिलचस्पी संदेह पैदा करती है। पता नहीं राणा कपूर की ओर से प्रियंका गांधी से पेंटिंग खरीदने को लेकर उठे सवालों का संतोषजनक जवाब मिलेगा या नहीं, लेकिन इसमें कोई दोराय नहीं कि संप्रग शासन के समय बैंकों के कामकाज में राजनीतिक हस्तक्षेप हद से ज्यादा बढ़ गया था।

इसी हस्तक्षेप के चलते बैंकों ने संदिग्ध इरादों वाले उद्यमियों को मनमाने तरीके से कर्ज दिए। मनमाने तरीके से कर्ज बांटने में यस बैंक भी आगे रहा और इसी के चलते उसकी हालत बिगड़ी। कम से कम अब तो यह सुनिश्चित किया ही जाना चाहिए कि यस बैंक वाली कहानी और कोई बैंक न दोहराने पाए।