सुप्रीम कोर्ट ने यह बिल्कुल सही कहा कि जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा को लेकर लगाए गए प्रतिबंधों को हटाने के लिए केंद्र सरकार को वक्त मिलना चाहिए, क्योंकि इस राज्य के हालात संवेदनशील हैैं। कोर्ट की इस टिप्पणी और याचिकाकर्ता को लगाई गई फटकार से उन लोगों को जवाब मिल जाना चाहिए जो अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद हालात नियंत्रण में रखने के लिए लगाई गईं तमाम पाबंदियों को गलत ठहरा रहे हैैं। यदि कोर्ट को यह कहना पड़ा कि याचिकाकर्ता को जमीनी हकीकत की जानकारी नहीं है तो फिर यह अपने आप साफ है कि प्रतिबंध हटाए जाने की मांग कितनी अतार्किक है।

बेहतर हो कि इन पाबंदियों से असुविधा महसूस कर रहे लोग यह समझें कि ये खुद उनकी और राज्य के अन्य लोगों की सुरक्षा के लिए हैैं। मौजूदा हालात में सुरक्षा संबंधी प्रतिबंधों को एक झटके में वापस नहीं लिया जा सकता। कश्मीर के मामले में तो यह और अधिक आवश्यक है कि सुरक्षा को लेकर अतिरिक्त सतर्कता बरती जाए। लंबे समय से आतंकवाद से प्रभावित जम्मू-कश्मीर में ऐसे तत्वों को कोई मौका नहीं दिया जा सकता जो भारत को हजार घाव देने के मंसूबे पाले हुए हैैं और किसी भी समय कोई बड़ी आतंकी घटना अंजाम देने की कोशिश कर सकते हैैं। अनुच्छेद 370 पर सरकार के ऐतिहासिक फैसले के संदर्भ में सुरक्षा को चाक-चौबंद रखने के लिए जो कदम उठाए गए हैं उनका उद्देश्य ऐसे ही तत्वों के मंसूबों को नाकाम करना है।

केंद्र सरकार का फैसला जम्मू-कश्मीर को एक नए युग में ले जाने के लिए कड़वी औषधि की तरह है। इसका असर होने में वक्त भी लगेगा और कुछ तकलीफें भी होंगी। इन तकलीफों को सहने के लिए हर किसी को तैयार रहना चाहिए। अब जब राज्य प्रशासन की ओर से यह बताया गया है कि हालात की समीक्षा करते हुए पाबंदियों में चरणबद्ध तरीके से ढील दी जा रही है तब उचित यही है कि सरकार को अपना काम करने दिया जाए। वैसे भी यह कोई पहला अवसर नहीं है जब जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा को लेकर आम जनता के आवागमन और इंटरनेट जैसी सुविधाओं पर पाबंदियां लगाई गई हों।

बेहतर हो कि जम्मू-कश्मीर की जनता सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत के इस संकल्प पर गौर करे जिसमें उन्होंने कहा है कि सेना स्थानीय लोगों के साथ वैसे ही मिलकर रहेगी जैसे वह 30-40 साल पहले रहती थी। रावत के इस कथन का संदेश साफ है कि आतंकवाद के कारण सुरक्षा चुनौतियों को देखते हुए सेना और आम जनता के बीच यदि कोई दूरी बन भी गई थी तो वह अब समाप्त होने वाली है।

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