विमान सेवाओं के चलने से आवाजाही में मदद, बल्कि कारोबारी गतिविधियों को आगे बढ़ाने में सहायता मिलेगी

घरेलू विमान सेवाएं शुरू करने का फैसला एक सही कदम है। ऐसे किसी फैसले की प्रतीक्षा ही की जा रही थी। अच्छी बात यह है कि हवाईअड्डे और एयरलाइंस 25 मई से विमान यात्रा शुरू करने के लिए तैयार हैं। चूंकि हवाई यात्रा से जुड़ी जरूरी शर्तें सार्वजनिक कर दी गई हैं इसलिए यात्रियों को भी उनके हिसाब से तैयारी करने में आसानी होगी। कोशिश यह होनी चाहिए कि कोरोना संक्रमण से बचाव को ध्यान में रखते हुए विमान यात्रियों के लिए जो जरूरी शर्तें तय की गई हैं उन्हेंं लेकर किसी तरह का कोई भ्रम न फैलने पाए।

विमान सेवाओं की शुरुआत केवल आवाजाही में ही मददगार साबित नहीं होगी, बल्कि उसके चलते कारोबारी गतिविधियां आगे बढ़ाने में भी सहायता मिलेगी। आज के युग में कारोबारी गतिविधियों का सीधा संबंध आवाजाही की आसान सुविधा से है। यही कारण है कि किसी इलाके में कारोबारी गतिविधियों को बल देने के लिए वहां हवाई यात्रा की सुविधा को आवश्यक माना जाता है। विमान यात्राओं को हरी झंडी दिखाने से आर्थिक संकट से दो-चार एयरलाइंस को तो राहत मिलेगी ही, उनके कर्मचारियों की नौकरियों पर मंडराता संकट भी टलेगा।

यह सर्वथा उचित है कि विमान सेवाएं शुरू करने का फैसला लेने के पहले रेल यात्रा शुरू करने का भी निर्णय ले लिया गया, लेकिन यह समझ नहीं आया कि विमान यात्रा की सुविधा तो 25 मई से मिलने लगेगी, लेकिन रेल यात्रा की सुविधा के लिए एक जून तक प्रतीक्षा करनी होगी। फिलहाल केवल 200 बिना एसी वाली ट्रेनों को ही चलाने का फैसला किया गया है। स्पष्ट है कि इसके चलते लोगों को एक सीमा तक ही राहत मिलेगी। हालांकि 15 जोड़ी राजधानी ट्रेनें पहले से चल रही हैं, लेकिन उनका लाभ चुनिंदा शहरों के लोगों को ही मिल पा रहा है। रेलवे ने श्रमिक स्पेशल ट्रेनों की भी संख्या बढ़ाई है।

घर लौटने को तत्पर मजदूरों की बड़ी संख्या को देखते हुए ऐसा करना आवश्यक था, लेकिन आखिर ऐसा क्यों नहीं हो सकता कि मजदूरों को उनके गंतव्य तक ले जा रहीं श्रमिक स्पेशल ट्रेनें वापसी में आम लोगों को यात्रा की सुविधा प्रदान करें? एक सवाल यह भी है कि राज्य सरकारें बसों के संचालन में तत्परता क्यों नहीं दिखा रही हैं? यह ठीक नहीं कि एक से दूसरे राज्य के बीच तो बसों को चलाने से बचा ही जा रहा है, कई राज्यों में एक से दूसरे जिलों में भी बसों का संचालन गति नहीं पकड़ रहा है। बेहतर हो राज्य सरकारें आवाजाही की महत्ता को समझें। जब कोरोना के साये में जीवन को गति देने की मजबूरी है तब फिर आवाजाही से बचने की कोशिश वक्त की बर्बादी है।