संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने एक तरह से मोदी सरकार का अगले पांच साल का वह एजेंडा ही पेश किया जिसकी झलक भाजपा के घोषणा पत्र में भी दिखी थी और चुनाव नतीजों के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विभिन्न भाषणों में भी। नई लोकसभा के गठन के उपरांत संसद के संयुक्त सत्र में राष्ट्रपति के अभिभाषण का महत्व इसलिए होता है, क्योंकि उसमें सरकार एक तरह से अपनी भावी नीतियों और कार्यक्रमों को रेखांकित करती है।

राष्ट्रपति के अभिभाषण में जिस तरह यह उल्लेख किया गया कि मोदी सरकार सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास के सिद्धांत पर चलेगी उससे यह स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री उस वातावरण को खत्म करने के लिए संकल्पित हैं जो विरोधी दलों की ओर से एक अर्से से बनाया जा रहा है। शायद इसीलिए राष्ट्रपति के अभिभाषण में यह भी कहा गया कि मोदी सरकार के नेतृत्व में नया भारत रवींद्र नाथ टैगोर के दर्शन पर आगे बढ़ेगा, जहां हर कोई बिना डरे जीवन यापन करने में सक्षम हो। इसी बात को तब और स्पष्ट किया गया जब यह कहा गया कि सरकार का उद्देश्य लोगों का जीवन सुविधायुक्त और बंधनमुक्त बनाना है।

राष्ट्रपति का अभिभाषण यह भी रेखांकित करता है कि मोदी सरकार को देश की मौजूदा समस्याओं और साथ ही आने वाली चुनौतियों का भी अच्छी तरह भान है। इसीलिए एक ओर जहां ग्रामीण भारत को मजबूत बनाने पर जोर दिया गया वहीं दूसरी ओर युवाओं और महिलाओं की अपेक्षाओं को पूरा करने की बात की गई। वास्तव में सबकी अपेक्षाएं पूरी होने से ही नए भारत का सपना सही तरह से साकार होते हुए दिखेगा।

यह अच्छा है कि सत्ता संभालते ही कुछ ऐसे निर्णय लिए गए जो इसकी पुष्टि करते हैैं कि मोदी सरकार अपनी दूसरी पारी में वांछित नतीजे देने पर ध्यान केंद्रित करने वाली है। इसका संकेत इससे मिल रहा है कि सरकार के पांच साल के एजेंडे को रेखांकित करने के साथ ही मंत्रियों को सौ दिन के अपने एजेंडे पर विशेष ध्यान देने को भी कहा जा रहा है। समस्याओं और चुनौतियों से पार पाने की प्रतिबद्धता प्रदर्शित करना समय की मांग भी है और जरूरत भी, क्योंकि भाजपा के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को जो प्रचंड बहुमत मिला वह इसी बात का परिचायक है कि मोदी सरकार से लोगों की अपेक्षाएं बढ़ गई हैैं। आम जनता अधूरे कार्यों की पूरा होते और साथ ही उन समस्याओं का समाधान होते हुए भी देखना चाहेगी जिनका वादा किया गया है।

उचित यह होगा कि राष्ट्रपति के अभिभाषण पर संसद के दोनों सदनों में सार्थक चर्चा हो। वास्तव में यही वह उपाय है जिससे विपक्ष सत्तापक्ष को उन मसलों पर गौर करने के लिए राजी कर सकता है जो उसकी समझ से सरकार की प्राथमिकता में होने चाहिए। विपक्ष को प्रधानमंत्री के इस आश्वासन पर भरोसा करना ही चाहिए कि उसकी बातों को अहमियत दी जाएगी। वैसे तो राष्ट्रपति के अभिभाषण में तमाम मसलों को समाहित किया गया है, लेकिन उचित यह होता कि पुलिस और न्यायपालिका में सुधार भी मोदी सरकार की प्राथमिकता सूची में शीर्ष पर दिखते।

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