भारत-अमेरिका की दोस्ती को नया आयाम देने के लिए नई दिल्ली आ रहे हैं राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत यात्रा से विश्व को यही संदेश जाएगा कि दोनों देश एक-दूसरे के स्वाभाविक सहयोगी बन गए हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत यात्रा सुनिश्चित हो जाना यही स्पष्ट करता है कि दोनों देश अपने संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं और वे असहमति वाले मसलों को सुलझाने के करीब भी पहुंच गए हैं। चूंकि ट्रंप एक ऐसे समय भारत आ रहे हैं जब महाभियोग प्रक्रिया से मुक्त होने के बाद उनके दोबारा राष्ट्रपति बनने की संभावना बढ़ गई है इसलिए यह तय है कि वह दोनों देशों की दोस्ती को एक नया आयाम देने के साथ ही दुनिया को यह संदेश देने का भी काम करेंगे कि अमेरिका की नजर में भारत की अहमियत कहीं अधिक बढ़ गई है। दुनिया को यह संदेश देने का काम तब होगा जब कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने और नागरिकता संशोधन कानून को लेकर एक ओर जहां अंतरराष्ट्रीय मीडिया भारत के प्रति अपने दुराग्रह का प्रदर्शन करने में लगा हुआ है वहीं कुछ देश भी भारत की आलोचना करने में जुटे हुए हैं।
पता नहीं अमेरिकी राष्ट्रपति की भारत यात्रा इन आलोचकों के सुर बदलने का काम करेगी या नहीं, लेकिन विश्व समुदाय इससे और अच्छी तरह परिचित होगा कि मोदी के नेतृत्व वाले भारत को आतंरिक मामलों में दबाव में नहीं लिया जा सकता। इसकी पुष्टि इससे होती है कि कश्मीर मामले में मध्यस्थता के पाकिस्तान के राग पर अमेरिकी राष्ट्रपति अब यह कहने लगे हैं कि वह ऐसा तभी कर सकते हैं जब भारत चाहेगा। नि:संदेह वह इससे अनभिज्ञ नहीं हो सकते कि भारत ऐसा कभी नहीं चाहेगा और अनुच्छेद 370 हटने के बाद तो इसके आसार दूर-दूर तक नहीं।
हालांकि अमेरिका पहले से ही भारत को विशेष अहमियत देता चला आ रहा है, लेकिन इसमें दोराय नहीं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विदेश नीति के मोर्चे पर जैसी सक्रियता दिखाई है उसका देश को अतिरिक्त लाभ मिला है। नरेंद्र मोदी विदेश नीति के मोर्चे पर अतिरिक्त सक्रियता दिखाने में इसीलिए सक्षम हैं, क्योंकि एक तो वह लगातार दूसरी बार बहुमत वाली सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं और दूसरे यह प्रदर्शित भी करते रहे हैं कि वह बड़े और कठोर फैसले लेने की क्षमता रखते हैं।
नि:संदेह ट्रंप अलग मिजाज वाले अमेरिकी राष्ट्रपति हैं, लेकिन यह मानने के भी अच्छे-भले कारण हैं कि वह भारतीय प्रधानमंत्री के मिजाज से भी अवगत हो चुके हैं। महत्वपूर्ण केवल यह नहीं होगा कि अमेरिकी राष्ट्रपति की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच कौन-कौन से समझौते होते हैं, बल्कि यह भी होगा कि उभय देश आपसी और साथ ही अंतरराष्ट्रीय मामलों में कहीं अधिक समझबूझ के साथ आगे बढ़ते दिखेंगे। इससे विश्व को यही संदेश जाएगा कि दोनों देश एक-दूसरे के स्वाभाविक सहयोगी बन गए हैं।