अपनी कुर्सी बचाने में जुटे राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उपमुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटाए गए सचिन पायलट को जिस तरह निशाने पर लिया उससे यह बिल्कुल भी नहीं लगता कि कांग्रेस उन्हें पार्टी में बनाए रखने की इच्छुक है। अशोक गहलोत ने सचिन पायलट को न केवल नाकारा और निकम्मा बताया, बल्कि यह भी कह दिया कि वह कोई काम करने के बजाय लोगों को लड़वाने में लगे हुए थे। इसके पहले उन्होंने सचिन पायलट पर कटाक्ष करते हुए कहा था कि केवल अंग्रेजी बोलने भर से काम नहीं चलता। ऐसा कहते हुए तो वह कुछ संयमित भी दिखे थे, लेकिन अब तो उन्होंने भाषा की मर्यादा ही ताक पर रख दी। उनके तीखे बयान ने कांग्रेस अध्यक्ष सीताराम केसरी की याद दिला दी, जिन्होंने पार्टी के समर्थन से प्रधानमंत्री बने देवेगौड़ा को निकम्मा कहकर राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया था।

इसमें संदेह है कि गहलोत ने पायलट पर जो करारा हमला बोला वह कांग्रेस नेतृत्व की मर्जी के खिलाफ बोला होगा। इसकी भी अनदेखी नहीं की जा सकती कि कांग्रेस के एक विधायक ने सचिन पर यह सनसनीखेज आरोप मढ़ा कि उन्होंने उन्हें अपने साथ आने के लिए 35 करोड़ रुपये की पेशकश की थी। कहना कठिन है कि इस आरोप में कितना दम है, लेकिन यह वही विधायक हैं जो खुद बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए हैं। इस विधायक के अलावा छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने भी यह कहकर एक तरह से सचिन पायलट के खिलाफ ही मोर्चा खोला कि उमर अब्दुल्ला की रिहाई के पीछे उनकी पैरवी हो सकती है।

यदि कांग्रेस वास्तव में यह चाह रही है कि सचिन पायलट बगावत की राह त्याग दें तो फिर उन पर ये हमले किसके इशारे पर हो रहे हैं? कहीं ऐसा तो नहीं कि कांग्रेस नेतृत्व भी दो खेमों में बंट गया है? जो भी हो, इसमें दो राय नहीं कि आज राजस्थान में जो कुछ हो रहा है उसके लिए कांग्रेस का कमजोर और अनिर्णय से ग्रस्त नेतृत्व भी जिम्मेदार है। यह संभव नहीं कि वह इससे अनभिज्ञ हो कि अशोक गहलोत और सचिन पायलट में बन नहीं रही है।

यह तो खुद गहलोत ही कह चुके हैं कि उनके और पायलट के बीच बातचीत बंद थी। आखिर ऐसी कोई सरकार सही तरह कैसे चल सकती है जिसके मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के बीच संवाद न हो? सचिन पायलट तो उपमुख्यमंत्री के साथ-साथ राज्य कांग्रेस के अध्यक्ष भी थे। गहलोत सरकार का भविष्य कुछ भी हो, सचिन पायलट का भी राजनीतिक भविष्य अनिश्चित दिख रहा है। फिलहाल उनके पास कांग्रेस से दूर जाने के अलावा और कोई राह दिख नहीं रही।