प्रधानमंत्री ने पांच दिन के अंदर दूसरी बार राष्ट्र को संबोधित करते हुए पूरे देश को तीन सप्ताह के लिए लॉकडाउन करने की जो घोषणा की वह यही बताती है कि कोरोना वायरस से उपजा संकट बहुत गंभीर रूप ले चुका है। इस गंभीरता को प्रधानमंत्री ने हरसंभव तरीके से न केवल रेखांकित किया, बल्कि देश की जनता को समझाने के साथ चेताया भी। ऐसा करना आवश्यक हो गया था, क्योंकि फिलहाल हालात काबू में आते नहीं दिखते। चूंकि यह एक ऐसा संकट है जो पूरी दुनिया में विकराल रूप धारण कर गया है इसलिए भारत सरीखे विशाल आबादी वाले देश के लिए एक कदम आगे बढ़कर सक्रियता दिखाना अनिवार्य हो गया था।

तीन सप्ताह का क‌र्फ्यू जैसा लॉकडाउन इसी अनिवार्यता की पूर्ति के लिए है। इस लॉकडाउन को सफल बनाने की जितनी जिम्मेदारी केंद्र और राज्य सरकारों के साथ उनकी एजेंसियों पर है उतनी ही जनता पर भी। यह बात देश के हर नागरिक को आत्मसात करनी होगी कि अपने और देश को बचाने का कारगर उपाय यही है कि हर कोई अपने घर पर ही रहे। लोगों को बिना समय गंवाए इसके लिए मानसिक रूप से तैयार कर लेना चाहिए कि उन्हें अगले तीन सप्ताह घर पर रहकर एक तरह का तप करना है। कितनी भी कठिनाई आए, इस तप को संयम और अनुशासन के साथ इसलिए पूरा करना होगा, क्योंकि राष्ट्र के जीवन-मरण का प्रश्न खड़ा हो गया है।

नि:संदेह तीन सप्ताह तक खुद को अलग-थलग करना और कई तरह की लक्ष्मण रेखाओं से बांधे रखना एक कठिन काम है, लेकिन जब संकल्प प्रबल हो तो उसे पूरा करना आसान हो जाता है। अपनी इस संकल्प शक्ति का परिचय देते हुए हम सभी को इस पर भी ध्यान देना होगा कि जब हमारे सामने धैर्य धारण करने की चुनौती आ खड़ी हुई है तब हमारे जैसे कुछ लोग कर्तव्य के कठिन पथ पर इसलिए डटे हैं ताकि सब सुरक्षित रहें। इनमें चिकित्सकों, स्वास्थ्य कर्मियों, सफाई कर्मियों के साथ पुलिस कर्मी एवं मीडिया कर्मी तो हैं ही, आवश्यक सेवाओं की पूर्ति में लगे लोग भी हैं।

चूंकि तीन सप्ताह के लॉकडाउन की घोषणा के बाद तमाम लोग आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति को लेकर आशंका से घिर गए हैं इसलिए शासन-प्रशासन को उसे भी प्राथमिकता के साथ दूर करना होगा और साथ ही इन वस्तुओं की निर्बाध आपूर्ति भी सुनिशित करनी होगी। यही काम समाचार पत्रों के प्रसार को लेकर भी करना होगा ताकि अफवाहों को रोका जा सके। लॉकडाउन के दौरान अपेक्षित पाबंदियों का सही तरह पालन हो, इसके लिए जनता की न्यूनतम जरूरतों की पूर्ति होते रहना जरूरी है।