आतंकी संगठन जमात-उद-दावा के सरगना और मुंबई हमलों के साजिशकर्ता हाफिज सईद को लाहौर की एक अदालत द्वारा आतंकवाद से जुड़े दो मामलों में दस साल की सजा सुनाया जाना, दुनिया की आंखों में धूल झोंकने की कोशिश हो सकती है। इस सजा का मकसद विश्व समुदाय और खासकर एफएटीएफ को यह झांसा देना हो तो हैरत नहीं कि पाकिस्तान आतंकवाद पर लगाम लगाने को लेकर गंभीर है, लेकिन कम से कम भारत को तो इस झांसे में नहीं ही आना चाहिए। यह सही समय है कि भारत यह सवाल उठाए कि आखिर इस आतंकी सरगना को मुंबई में भीषण आतंकी हमलों के लिए कब सजा मिलेगी? 

भारत की कोशिश यह भी होनी चाहिए कि विश्व समुदाय और विशेष रूप से अमेरिका, ब्रिटेन आदि देश भी इस सवाल को लेकर पाकिस्तान की घेराबंदी करें, क्योंकि मुंबई में इन देशों के भी नागरिक मारे गए थे। भारत को विश्व समुदाय को इस तथ्य से भी अवगत कराना चाहिए कि पाकिस्तान में सजा पाए आतंकवादी किस तरह जेल में रहकर भी अपना आतंकी नेटवर्क चलाते रहते हैं। यदि दुनिया इस तथ्य को ओझल करती है कि पाकिस्तान में आतंकी संगठनों को सहयोग-समर्थन एवं संरक्षण देने का ढांचा पहले की तरह कायम है और उसे वहां की सेना तथा खुफिया एजेंसी द्वारा संचालित किया जा रहा है तो यह एक प्रकार से आतंकवाद से जानबूझकर मुंह मोड़ने वाला काम ही होगा।

आतंकी संगठनों को पालने-पोसने में लगा हुआ है

पाकिस्तान किस तरह किस्म-किस्म के आतंकी संगठनों को पालने-पोसने में लगा हुआ है, इसका प्रमाण है जैश, लश्कर सरीखे खूंखार आतंकी संगठनों की सक्रियता। इसके चलते ही जम्मू- कश्मीर में पाकिस्तान से आतंकी घुसपैठ कर रहे हैं। आतंकियों की घुसपैठ के मकसद से ही पाकिस्तानी सेना नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम का उल्लंघन कर रही है। अब तो वह ड्रोन के जरिये हथियार भेजने में भी जुटी हुई है।

जम्मू-कश्मीर में स्थानीय निकायों के चुनाव में खलल डालना चाहता है पाक

पाकिस्तान कश्मीर में किस तरह आतंक फैलाने में लगा हुआ है, इसके प्रमाण हर दिन सामने आ रहे हैं। गत दिवस नगरोटा में मारे गए चारों आतंकी पाकिस्तान से ही आए थे। चूंकि जम्मू-कश्मीर में स्थानीय निकायों के चुनाव होने जा रहे हैं इसलिए पाकिस्तान उनमें खलल डालने की हर संभव कोशिश कर रहा है। वह तब तक अपनी हरकतों से बाज नहीं आने वाला, जब तक उसके आतंकी चेहरे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेनकाब करने के साथ ही उसे नए सिरे से सबक सिखाने के जतन नहीं किए जाते। जब तक विश्व समुदाय इस नतीजे पर नहीं पहुंचता कि पाकिस्तान का आतंकी ढांचा पूरी दुनिया के लिए खतरा बन गया है, तब तक भारत को चैन से नहीं बैठना चाहिए। भारत को जितना पाकिस्तान से सावधान रहना है, उतना ही चीन से भी।