कांग्रेस की अगुआई में 14 विपक्षी दलों के नेताओं ने राष्ट्रपति से मिलकर नागरिकता कानून वापस लेने की मांग करके यही प्रकट किया कि वे इस मसले पर राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए कुछ भी करने को तैयार हैैं। आखिर किस नियम-कानून के तहत संसद से पारित किसी कानून की वापसी हो सकती है? जो काम संभव ही नहीं उसकी मांग करना राजनीति चमकाने के अलावा और कुछ नहीं। विपक्षी दल यह सब इसीलिए कर रहे हैैं, ताकि उन तत्वों को उकसाने में आसानी हो जो इस कानून के विरोध में सड़कों पर उतरकर आगजनी एवं तोड़फोड़ कर रहे हैैं। विपक्ष की भड़काऊ राजनीति का पता इससे भी चलता है कि उसकी ओर से दिल्ली से लेकर बंगाल तक फैलाई जा रही अराजकता के खिलाफ कुछ भी नहीं कहा जा रहा है।

यह अराजकता शरारत भरी राजनीति, अज्ञानता और कुप्रचार की उपज ही है, क्योंकि सच यही है कि नागरिकता कानून का किसी भी भारतीय नागरिक से कोई वास्ता नहीं। यह कानून तो असम और पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों में बांग्लादेश एवं पाकिस्तान से प्रताड़ित होकर आए अल्पसंख्यकों को राहत देने के लिए है और वह भी उन्हें जो 2014 के पहले आ चुके हैैं। हालांकि असम, त्रिपुरा आदि के लोग यह नहीं चाह रहे कि बाहर से आया कोई भी विदेशी उनकी धरती पर बसे। इसीलिए वहां इस कानून का विरोध तेज हुआ। यह बात और है कि उन्हें भी यह नहीं पता कि वास्तव में कितने बाहरी लोग इस कानून से लाभान्वित होंगे और उनके यहां के नागरिक बन जाएंगे।

यह विडंबना ही है कि पूर्वोत्तर के जो लोग इस कानून से किसी न किसी रूप में प्रभावित हो सकते हैैं उन्होंने तो अपना उग्र विरोध त्याग दिया, लेकिन शेष देश में इस झूठी अफवाह के सहार्रे ंहसा की जा रही है कि इससे उनके हित प्रभावित होंगे। यह तो संभव ही नहीं, क्योंकि यह कानून नागरिकता देने का है, न कि लेने का। अगर लोगों को यह साधारण सी बात समझ नहीं आ रही तो इसका यही मतलब है कि वे न समझने का बहाना कर रहे हैैं।

यह हास्यास्पद ही है कि नागरिकता कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने वाले विपक्षी नेता भी राष्ट्रपति के पास यह गुहार लगाने चले गए कि इस कानून को वापस ले लिया जाए। क्या उन्हें सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा नहीं रहा या फिर वे यह जान रहे हैैं कि वहां उनकी दलीलें कमजोर साबित होने वाली हैैं? अगर ऐसा कुछ नहीं है तो फिर वे यह खुली मांग क्यों नहीं करते कि बांग्लादेश, पाकिस्तान के हर नागरिक को भारत की नागरिकता प्रदान करने वाला कानून बनाया जाए?