आधे-अधूरे तथ्यों और अफवाहों के आधार पर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन को संदिग्ध बताने का अभियान फिर से छिड़ जाने पर आश्चर्य नहीं। कुछ राजनीतिक दलों और ईवीएम के बैरी बन बैठे लोगों का यह पुराना शगल है। कभी-कभी लगता है कि कुछ लोगों ने ईवीएम को बदनाम करने का ठेका ले रखा है और शायद यही कारण है कि वे सुप्रीम कोर्ट के फैसलों से भी संतुष्ट नहीं होते।

ईवीएम के खिलाफ ताजा पहल आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने की है। आंध्र प्रदेश में विधानसभा और लोकसभा के पहले चरण के लिए मतदान होते ही वह जिस तरह ईवीएम में गड़बड़ी का रोना रोते हुए दिल्ली दौड़े आए उससे तो यही लगता है कि उन्हें यह आभास हो गया है कि चुनाव नतीजे उनके मनमाफिक नहीं रहने वाले। सच्चाई जो भी हो, वह निर्वाचन आयोग के अधिकारियों से मिलने के लिए ईवीएम चोरी में आरोपित व्यक्ति को जिस तरह तकनीकी विशेषज्ञ बताकर अपने साथ लाए उससे उनकी मंशा पर सवाल खड़ा होना स्वाभाविक है।

यह वह व्यक्ति है जो करीब एक दशक से यह साबित करने की नाकाम कोशिश कर रहा है कि ईवीएम में छेड़छाड़ की जा सकती है। ऐसे खुराफाती तत्व और भी हैं। एक वह था जिसने अभी हाल में लंदन में ईवीएम हैक किए जाने को लेकर हास्यास्पद और विचित्र दावे किए थे। इसी तरह का दावा दिल्ली विधानसभा में भी एक नकली ईवीएम के जरिये किया जा चुका है। यह भी याद रहे कि जब निर्वाचन आयोग ने ईवीएम हैक करके दिखाने की चुनौती पेश की थी तो उसका सामना करने कोई नहीं आया था।

समस्या केवल यह नहीं है कि समय-समय पर कुछ राजनीतिक दल ईवीएम के खिलाफ शिकायतें लेकर सामने आ जाते हैं। समस्या यह भी है कि अफवाह आधारित इन शिकायतों को मीडिया का एक हिस्सा हवा देता है। इसी कारण रह-रह कर ऐसी खबरें आती रहती हैं कि ईवीएम का कोई भी बटन दबाने पर वोट किसी एक ही दल को जाता दिखा। कई बार ईवीएम में खराबी को इस रूप में पेश किया जाता है कि उसमें छेड़छाड़ संभव है।

दुनिया की कोई भी मशीन खराब हो सकती और मतदान के दौरान ईवीएम में खराबी आने की समस्या का समाधान खोजने की जरूरत है, लेकिन इस जरूरत पर बल देने के बहाने मतपत्र से चुनाव कराने की मांग वैसी ही है जैसे ट्रेन दुर्घटना के बाद कोई बैलगाड़ी से यात्रा को आवश्यक बताए। यह समझ से परे है कि 21 राजनीतिक दल किस आधार पर 50 प्रतिशत मतदान पर्चियों का मिलान ईवीएम से करने की अपनी पुरानी मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाना चाह रहे हैं?

क्या चंद दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश नहीं दिया कि हर विधानसभा के एक के बजाय पांच बूथ की मतदान पर्चियों का मिलान ईवीएम से किया जाए? राजनीतिक दल सुप्रीम कोर्ट जाने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन आखिर कुछ माह पहले ही तीन राज्यों में ईवीएम के सहारे जीत हासिल करने वाली कांग्रेस किस मुंह से उसके खिलाफ दलीलें दे रही है? नि:संदेह यही सवाल आम आदमी पार्टी से है जिसने दिल्ली विधानसभा चुनाव में 70 में से 67 सीटें जीती थीं।