लंदन में नीरव मोदी की गिरफ्तारी की खबर उन सबको राहत देने वाली है जो पंजाब नेशनल बैंक के हजारों करोड़ रुपये हड़पने वाले इस शातिर कारोबारी पर शिकंजा कसता हुआ देखना चाह रहे थे। नीरव की गिरफ्तारी मोदी सरकार को राजनीतिक तौर पर राहत देने के साथ ही उसके इस दावे को दमदार साबित करने भी वाली है कि उसके जैसे घोटालेबाज बख्शे नहीं जाएंगे। अब भाजपा अपने राजनीतिक विरोधियों के उन तानों का जवाब दे सकती है जो उसे नीरव मोदी के कारण सुनने पड़ रहे थे। इस सबके बावजूद अभी यह नहीं कहा जा सकता कि भारत सरकार से बचते फिर रहे नीरव मोदी को देश लाने में सफलता कब मिलेगी। हालांकि लंदन की अदालत ने उसे जिस तरह करीब दस दिन के लिए जेल भेज दिया उससे यह लगता है कि उस पर लगे आरोप गंभीर पाए गए हैं, लेकिन इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि वांछित तत्वों का ब्रिटेन से प्रत्यर्पण मुश्किल से ही हो पाता है।

वहां की अदालतों के रुख-रवैये और आपराधिक आरोपों से घिरे लोगों के मानवाधिकारों की जरूरत से ज्यादा चिंता किए जाने के कारण न जाने कितने वांछित तत्व वहां डेरा डाले हुए हैं। आखिर यह एक तथ्य है कि विजय माल्या को अभी तक भारत नहीं लाया जा सका है। जब तक ब्रिटेन यह समझने के लिए तैयार नहीं होता कि वह गंभीर आरोपों से घिरे लोगों के प्रति अनावश्यक नरमी दिखाकर अपना भला नहीं कर रहा है तब तक इसके अलावा और कोई उपाय नहीं कि भारत में वांछित तत्वों के प्रत्यर्पण के लिए उस पर हर संभव दबाव बनाया जाए।

नीरव मोदी की गिरफ्तारी भारतीय एजेंसियों की सक्रियता का प्रमाण है, लेकिन यह भी स्पष्ट है कि उसकी घेरेबंदी इसलिए हो सकी, क्योंकि लंदन के एक अखबार ने उसे खोज निकाला था। अगर इस अखबार ने उसे नहीं खोजा निकाला होता तो शायद वह कुछ और समय तक चकमा देता रहता। हैरत नहीं कि इस अखबार के कारण ही ब्रिटिश एजेंसियों की नींद टूटी हो। जो भी हो, भारतीय एजेंसियों को इसके लिए कोशिश करनी चाहिए कि नीरव मोदी को जमानत न मिलने पाए और उसके प्रत्यर्पण की कार्रवाई तेजी से आगे बढ़े।

नीरव मोदी की गिरफ्तारी ने उसके घोटालेबाज सहयोगी मेहुल चोकसी की याद ताजा कर दी है, जो कैरेबियाई देश एंटीगुआ में छिपा हुआ है। हालांकि भारतीय नागरिकता छोड़ने के बाद भी उसकी मुश्किलें कम नहीं हुई हैं, लेकिन इतना तो है ही कि उसके बारे में भी यह कहना कठिन है कि उसे स्वदेश कब लाया जा सकेगा?

ऐसी मुश्किलों को देखते हुए आवश्यक केवल यह नहीं है कि भारत अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी यह मुहिम और तेज करे कि आर्थिक भगोड़ों को कहीं पर भी शरण न मिले, बल्कि यह भी है कि उनकी विदेश स्थित संपत्तियां कहीं अधिक आसानी से जब्त करने के प्रावधान बनें। इस सबके साथ इसके प्रति भी सतर्कता बरतनी होगी कि संदिग्ध किस्म के कारोबारियों को बेजा तरीके से कर्ज न मिलने पाए। इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि चाहे विजय माल्या हों या फिर नीरव मोदी, इन सबने अनुचित तरीके से ही कर्ज हासिल किया।