राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआइए ने एक खतरनाक आतंकी गुट का पर्दाफाश करके देश को एक बड़े खतरे से बचाने का काम तो किया ही, यह भी जाहिर किया कि आतंकवाद का खतरा अभी टला नहीं और उससे सतर्क रहने की आवश्यकता पहले जैसी ही बनी हुई है। एनआइए की मानें तो हरकत उल हर्ब ए इस्लाम नाम वाले इस आतंकी गुट का इरादा कुछ नेताओं के साथ देश के महत्वपूर्ण ठिकानों को निशाना बनाने का था। चिंता की बात केवल यह नहीं कि यह आतंकी गुट बड़ा हमला करने की ताक में था, बल्कि यह भी है कि उसने हथियारों और विस्फोटकों के साथ एक देसी राकेट लांचर भी जुटा लिया था।

इससे भी अधिक चिंता की बात यह है कि वह आत्मघाती हमलों की भी तैयारी कर रहा था। एनआइए ने तथाकथित हरकत उल हर्ब ए इस्लाम के जिन दस लोगों को गिरफ्तार किया वे मध्यम वर्गीय परिवारों से हैं। इनमें कुछ पढ़े-लिखे भी हैं और एक तो इंजीनियरिंग का छात्र बताया जा रहा है। इससे यह धारणा एक बार फिर खारिज हो जाती है कि केवल गरीब और अशिक्षित युवा ही आसानी से गुमराह होकर आतंक की राह पर चले जाते हैं। स्पष्ट है कि उन कारणों की न केवल पहचान करनी होगी, बल्कि उनका निवारण भी करना होगा जिसके चलते पढ़े-लिखे और आर्थिक तौर पर समर्थ युवा आतंक की राह पर जा रहे हैं। इसी के साथ इस सवाल का भी जवाब खोजना होगा कि आतंकवाद की राह पकड़ने वाले मजहब की आड़ लेने में कैसे सफल हो जा रहे हैं? आखिर हरकत उल हर्ब ए इस्लाम नाम से आतंकी गुट बनाने का क्या मतलब?

एनआइए की गिरफ्त में आए तत्वों ने अपने आतंकी गुट का नाम इस्लाम से जोड़ने की जो हिमाकत की उस पर मुस्लिम समाज के नेतृत्व को यह विचार करना चाहिए कि क्या उसे उसी तरह सक्रियता दिखाने की फिर जरूरत है जैसी उसने कुछ समय पहले आइएस के खिलाफ फतवा जारी कर दिखाई थी? जो भी हो, इससे खराब बात और कोई नहीं हो सकती कि जब दुनिया का सबसे खूंखार आतंकी संगठन आइएस अपने गढ़ सीरिया में दम तोड़ रहा है तब भारत में कुछ गुमराह लोग उसके जैसी हरकतों को अंजाम देने की खतरनाक सोच से ग्रस्त हो रहे हैं। आखिर आइएस जैसे बर्बर और घृणित आतंकी संगठन से कोई किसी तरह की प्रेरणा कैसे ले सकता है? यह राहतकारी है कि एनआइए ने आतंक की एक बड़ी साजिश का पर्दाफाश कर दिया, लेकिन केवल इतना ही पर्याप्त नहीं है। उसके लिए यह भी जरूरी है कि वह गिरफ्तार तत्वों के खिलाफ सारे सुबूत जुटाकर उन्हें सजा दिलाने की दिशा में तेजी से आगे बढ़े ताकि किसी तरह के संदेह और सवालों की गुंजाइश न रहे। यह इसलिए आवश्यक है, क्योंकि कई बार कुछ लोग आतंकवाद के मसले पर भी राजनीति करने से बाज नहीं आते। आखिर कौन नहीं जानता कि देश भर में तमाम हमलों को अंजाम देने वाले यासीन भटकल के आंतकी गुट इंडियन मुजाहिदीन के बारे में कुछ नेताओं का यह ख्याल था कि यह नाम सरकारी एजेंसियों के दिमाग की उपज है।