शिवसेना के विद्रोही विधायकों की संख्या 40 के करीब पहुंचते ही यह स्पष्ट हो गया था कि उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री के रूप में चंद दिनों के ही मेहमान हैं, लेकिन इसका अनुमान शायद ही किसी ने लगाया हो कि उनके त्यागपत्र के बाद भाजपा स्वयं सत्ता की कमान नहीं संभालेगी और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के बजाय एकनाथ शिंदे बनेंगे। भाजपा ने संभवत: ऐसा इसलिए किया ताकि राष्ट्र और विशेष रूप से महाराष्ट्र की जनता को यह संदेश न जाए कि शिवसेना में विद्रोह में उसकी सीधी भूमिका थी और वह हर हाल में महाविकास आघाड़ी सरकार को हटाना चाहती थी।

इस अनपेक्षित फैसले के पीछे यही रणनीति नजर आती है कि एकनाथ शिंदे गुट को ही असली शिवसेना के रूप में पेश किया जा सके। यह समय बताएगा कि भाजपा इस उद्देश्य में कितनी सफल हो पाएगी, लेकिन महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे के रूप में एक शिवसैनिक के नेतृत्व वाली सरकार बनने से उद्धव ठाकरे की मुश्किलें और बढ़ना तय हैं। अब उनके लिए महाराष्ट्र की जनता को यह संदेश देना और कठिन होगा कि असली शिवसेना की कमान उनके पास है और वही बाल ठाकरे की विरासत के एकमात्र उत्तराधिकारी हैं। यदि वह इस विरासत को सही तरह संभाल रहे होते तो शिवसेना में इतना बड़ा विद्रोह नहीं हुआ होता।

यह सही है कि शिवसेना में पहले भी विद्रोह हुए हैं, लेकिन उनसे पार्टी को अधिक नुकसान इसलिए नहीं हुआ, क्योंकि बाल ठाकरे एक करिश्माई नेता थे। उद्धव ठाकरे कुछ भी दावा करें, उनमें वह बात नहीं, जो बाल ठाकरे में थी। उद्धव ठाकरे ने सत्ता के लोभ में जिस तरह कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस से हाथ मिलाया, उससे उन्होंने बाल ठाकरे की विरासत को नुकसान पहुंचाने के साथ ही शिवसैनिकों को निराश भी किया। नि:संदेह जितना अप्रत्याशित एकनाथ शिंदे का मुख्यमंत्री बनना है, उतना ही महाराष्ट्र की नई सरकार से बाहर रहने की घोषणा करने के बाद देवेंद्र फडणवीस की ओर से उप मुख्यमंत्री पद की शपथ लेना।

ऐसा लगता है कि भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व जिस रणनीति पर चल रहा था, उससे देवेंद्र फडणवीस भली तरह अवगत नहीं थे या फिर अंतिम क्षणों में रणनीति में बदलाव हुआ। सच जो भी हो, शपथ ग्रहण के पहले देवेंद्र फडणवीस को लेकर जो असमंजस उपजा, उससे बचा जाना चाहिए था। कम से कम अब तो यह सुनिश्चित किया ही जाना चाहिए कि मंत्रिमंडल का विस्तार और विभागों का बंटवारा सुगमता से हो। यह इसलिए आवश्यक है, क्योंकि इससे ही महाराष्ट्र की जनता को यह संदेश जाएगा कि एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली नई सरकार उसकी उम्मीदों पर खरी उतरने वाली एक सक्षम सरकार है।