मोदी सरकार की वापसी के बाद जिज्ञासा केवल यही नहीं थी कि इस बार किसे मंत्रिपरिषद में जगह मिलती है, बल्कि यह भी थी कि किसे कौन सा मंत्रालय मिलता है? इन दोनों सवालों का जवाब सामने आ गया है और सरकार में शामिल हुए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने जहां गृहमंत्री की जिम्मेदारी संभाली वहीं निर्मला सीतारमण ने वित्त मंत्रालय की।

अमित शाह ने भाजपा अध्यक्ष के तौर पर जो कुछ हासिल किया वह एक मिसाल है। अब उनसे यही उम्मीद की जाती है कि गृहमंत्री के रूप में भी वह विभिन्न चुनौतियों का सामना करते हुए मिसाल कायम करेंगे। निर्मला सीतारमण रक्षा मंत्री बनने वाली पहली महिला थीं। अब वह वित्त मंत्रालय संभालने वाली पहली महिला भी बन गई हैं। चूंकि वह आर्थिक मामलों की अच्छी जानकार हैं इसलिए वित्त मंत्री के रूप में उनका चयन उपयुक्त फैसला है।

ऐसा ही फैसला विदेश सचिव रहे एस जयशंकर को विदेश मंत्री बनाने का भी है। उनके शपथ लेते ही जहां यह स्पष्ट हो गया था कि वह अगले विदेश मंत्री बनने जा रहे हैं वहीं यह भी कि प्रधानमंत्री विदेश नीति को पहले जैसा ही महत्व देने वाले हैं। राजदूत के तौर पर अमेरिका और चीन में काम कर चुके जयशंकर सुषमा स्वराज की जगह लेंगे जिन्होंने एक छाप छोड़ी है। यह छाप इतनी गहरी है कि विदेश मंत्रालय ही नहीं, देश भी उनकी कमी महसूस करेगा।

उन्हें इसके लिए जाना जाएगा कि उन्होंने अपने नेतृत्व में विदेश मंत्रालय को आम आदमी से जोड़ा। मंत्रिपरिषद को सुषमा स्वराज की तरह ही अरुण जेटली की भी कमी महसूस होगी, जिन्होंने सेहत के चलते सरकार से दूर रहने का फैसला लिया। उन्होंने नोटबंदी के साथ ही देश के कर ढांचे की तस्वीर बदलने वाले जीएसटी को ही लागू नहीं कराया, बल्कि हर मुश्किल वक्त पार्टी और सरकार के लिए ढाल भी बने।

मंत्रियों के चयन और विभागों के बंटवारे से यह साफ है कि प्रधानमंत्री ने एक ओर जहां नेताओं की क्षमता को महत्व दिया है वहीं निरतंरता का भी ध्यान रखा और शायद इसीलिए आंतरिक सुरक्षा की चुनौतियों से भली तरह परिचित राजनाथ सिंह को रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई। इसी तरह बेहतर काम कर दिखाने वाले नितिन गडकरी के पास परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय तो है ही, उन्हें सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्रालय की भी जिम्मेदारी दी गई है।

इसके प्रति सुनिश्चित हुआ जा सकता है कि वह इन उद्योगों की समस्याओं का समाधान करने में सक्षम होंगे। चूंकि उनके कुशल प्रशासक होने में किसी को संदेह नहीं इसलिए एक बार फिर उनसे बेहतर नतीजे देने की उम्मीद की जाती है। ऐसी ही उम्मीद अन्य मंत्रियों से भी की जाती है इसलिए और भी, क्योंकि मोदी सरकार से लोगों की अपेक्षाएं और बढ़ गई हैं।

अनुभवी नेताओं को महत्वपूर्ण मंत्रालय दिए जाने और नए चेहरों को मंत्री बनाए जाने से मंत्रिपरिषद को जरूरी ऊर्जा और गति मिलनी चाहिए। नए मंत्रियों की क्षमता का आकलन तो उनके कामकाज से ही होगा, लेकिन यह उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री ने उन्हें मंत्रिपरिषद में स्थान देकर यह संदेश भी दिया कि भाजपा नए और काबिल लोगों को मौके देने वाली पार्टी है।

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