कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पार्टी के संसदीय दल की बैठक और महिला कांग्रेस के अधिकार सम्मेलन में जैसे वक्तव्य दिए उससे इसकी ही पुष्टि हुई कि वह केवल आरोप लगाने तक ही सीमित होते जा रहे हैैं। चूंकि उनकी प्राथमिकता केवल आरोप उछालने में है इसलिए वह उन्हें सनसनीखेज तरीके से उछालते तो हैैं, लेकिन इसकी परवाह नहीं करते कि उनमें कुछ तत्व या तथ्य है या नहीं? समझना कठिन है कि वह किस आधार पर इस नतीजे पर पहुंच गए कि बीते चार सालों में महिलाओं के खिलाफ जो कुछ हुआ है वह पिछले तीन हजार सालों में भी नहीं हुआ? आखिर वह कहां से लाते हैैं ऐसे विचित्र विचार? इसमें दोराय नहीं कि देश में महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ रहे हैैं और दुष्कर्म के मामले भी थमने का नाम नहीं ले रहे, लेकिन यह बेतुकी बात है कि महिलाओं की सुरक्षा के मामले में आज के हालत तीन हजार सालों से भी खराब है।

महिलाओं के खिलाफ अपराध के बढ़ते मामलों के लिए प्रधानमंत्री को जिम्मेदार ठहराने के साथ ही राहुल गांधी ने महिला आरक्षण विधेयक पारित कराने पर जोर दिया। अगर वह यह समझ रहे हैैं कि महिला आरक्षण विधेयक पारित होने यानी संसद एवं विधानसभाओं में 33 प्रतिशत स्थान महिलाओं के लिए आरक्षित होने से देश की आम महिलाओं के लिए स्थितियां अनुकूल हो जाएंगी तो यह दिवास्वप्न के अलावा और कुछ नहीं। यदि राहुल गांधी महिला आरक्षण विधेयक को महिलाओं की सभी समस्याओं का समाधान मान रहे हैैं तो फिर संप्रग सरकार ने दस साल तक सत्ता में रहते समय यह काम क्यों नहीं किया? क्या कारण है कि महिला आरक्षण से संबधित विधेयक को केवल राज्यसभा से पारित कराया गया?

कभी-कभी नहीं, अब तो अक्सर ही ऐसा लगता है कि सरकार को कठघरे में खड़ा करने के फेर में राहुल गांधी बिना सोचे-समझे तैश में आकर कुछ भी कह देते हैैं। नि:संदेह उनके भाषण आक्रामक और तीखे आरोपों से भरे होते हैैं, लेकिन उनसे यह मुश्किल से ही ध्वनित होता है कि वह देश की तमाम समस्याओं का समाधान कैसे करेंगे? यह तो समझ में आता है कि कांग्रेस अध्यक्ष कालेधन को लेकर सरकार से सवाल पूछें, लेकिन कम से कम उन्हें यह तो पूछने से बचना ही चाहिए कि हर किसी के खाते में 15 लाख रुपये कब आएंगे? मोदी सरकार के खिलाफ लोगों में गुस्सा बढ़ता देख रहे राहुल गांधी ने कांग्रेस को सबकी जरूरत पूरी करने वाले विकल्प के रूप में पेश करने का भरोसा जताया, लेकिन उन्होंने शायद ही कभी किसी समस्या के समाधान का तरीका सुझाया हो।

इसमें संदेह है कि ऐसे बयान देते रहने से कांग्रेस एक मजबूत विकल्प के रूप में उभर आएगी कि चार साल बाद मोदी जी की जादुई ट्रेन हादसे की ओर जा रही है, जिसे एक तानाशाह,अक्षम और घमंडी ड्राइवर चला रहा है। अगर राहुल की बातों पर भरोसा कर एक क्षण के लिए यह मान लिया जाए कि मोदी सरकार के चलते देश रसातल में जा रहा है तो भी जनता यह जानना चाहेगी कि कांग्रेस देश को सही दिशा में ले जाने के लिए क्या करेगी?