अब यह किसी से छिपा नहीं कि चीन को कोरोना वायरस का संक्रमण दुनिया भर में फैलाने का जिम्मेदार माने जाने के कारण यूरोपीय देशों के साथ-साथ अमेरिका, जापान आदि की बहुराष्ट्रीय कंपनियां वहां से अपना बोरिया-बिस्तर समेटने की तैयारी कर रही हैं। इसे भारत अपने लिए एक अवसर के रूप में देख रहा है, लेकिन केवल इतने से बात नहीं बनने वाली कि केंद्रीय मंत्रियों के साथ-साथ प्रधानमंत्री भी राज्यों को यह सलाह दें कि वे इन कंपनियों को अपने यहां लाने की कोशिश करें। आखिर इस कोशिश में खुद केंद्र सरकार क्यों नहीं जुटती? क्या यह उचित नहीं कि केंद्र सरकार अपने स्तर पर सक्रिय हो और चीन से निकलने की तैयारी कर रही बहुराष्ट्रीय कंपनियों से संपर्क साधकर उन्हें देश में लाने के लिए हर संभव कदम उठाएंं?

आवश्यक तो यह है कि इसके लिए संबंधित मंत्रालयों की कोई संयुक्त टीम गठित कर तत्परता का परिचय दिया जाए, क्योंकि ये कंपनियां भारत सरकार या फिर राज्य सरकारों के निमंत्रण का इंतजार नहीं करने वालीं। केंद्र सरकार को इससे अवगत होना चाहिए कि चीन से निकलने का मन बन चुकीं सैकड़ों कंपनियों के लिए पसंदीदा ठिकाना वियतनाम, ताइवान, थाईलैंड, इंडोनेशिया, मलेशिया आदि हैं। ऐसा इसीलिए है, क्योंकि भारत के मुकाबले इन देशों में कहीं अधिक उपयुक्त माहौल और सुविधाएं हैं। क्या ऐसी सुविधाएं भारत में हैं? दावे कैसे भी किए जाएं, हकीकत कुछ और ही है।

यदि केंद्र और राज्य सरकारें यह चाहती हैं कि चीन से निकलने वाली बहुराष्ट्रीय कंपनियां भारत की ओर रुख करें तो उन्हें इन कंपनियों के लिए उपयुक्त आधारभूत ढांचा और अनुकूल माहौल उपलब्ध कराने का काम प्राथमिकता के आधार पर करना होगा। सरकारें इससे परिचित ही होंगी कि जरूरत केवल श्रम कानूनों को दुरुस्त करने की ही नहीं, नौकरशाही के मिजाज को भी ठीक करने की है। यह आसान काम नहीं। यह सही है कि बीते कुछ समय में देश में कारोबारी माहौल एक हद तक सुगम बना है, लेकिन अभी वह इतना आकर्षक भी नहीं कि बहुराष्ट्रीय कंपनियां भारत की ओर खिंची चली आएं।

आखिर यह एक तथ्य है कि हाल में जिन बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने चीन से अपने कारखाने हटाए हैं उन्होंने वियतनाम अथवा ताइवान को तरजीह दी है। बेहतर हो कि केंद्र और राज्य सरकारें उन कारणों की तह तक जाएं जिनके चलते बहुराष्ट्रीय कंपनियां भारत आने को लेकर बहुत उत्साहित नहीं। नि:संदेह इस संकट काल में चीन से बहुराष्ट्रीय कंपनियों का पलायन भारत के लिए एक अवसर है, लेकिन इस अवसर को भुनाने के लिए जो कुछ करना है उसमें देर नहीं की जानी चाहिए। अच्छा होगा कि केंद्र सरकार कोई नजीर पेश करके दिखाए।