मंदी की दस्तक के बीच मोदी सरकार की ओर से अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए जो तमाम घोषणाएं हो रही हैैं उनसे यह तो दिख रहा है कि मौैजूदा हालात से निपटने के लिए कमर कस ली गई है, लेकिन ये भी संकेत मिल रहे हैैं कि कारोबार जगत को कोई राहत पैकेज मिलने नहीं जा रहा है। बेहतर हो कि इसे स्पष्ट रूप से रेखांकित कर दिया जाए कि कोई राहत पैकेज प्रस्तावित नहीं है ताकि कारोबार जगत इस उम्मीद में न रहे कि उसे सरकार से कोई अतिरिक्त मदद मिलने जा रही है। इसी के साथ यह भी आवश्यक हो जाता है कि वित्त मंत्रालय की ओर से जो घोषणाएं की जा रही हैैं उन पर वास्तव में अमल हो और यथाशीघ्र हो। यह अपेक्षा इसलिए, क्योंकि नौकरशाही अपने ही ढर्रे पर चलती है।

यह आवश्यक ही नहीं, अनिवार्य है कि सरकार जो भी कदम उठाए उन्हें नौकरशाही प्राथमिकता के आधार पर लागू करे। यह सुनिश्चित करके ही हालात को बदलने में कामयाबी मिलेगी। नि:संदेह यह पहल अच्छी है कि सरकार जल्द ही एक ऐसा सिस्टम बनाने जा रही है जिसमें सेंट्रल जीएसटी और स्टेट जीएसटी का रिफंड एक साथ एक ही अधिकारी जारी कर सकेगा, लेकिन क्या यह अच्छा नहीं होता कि इस तरह की व्यवस्था पहले ही कर दी जाती? आखिर सरकार इससे अनभिज्ञ नहीं होे सकती कि जीएसटी रिफंड समय पर न मिलने से तमाम कारोबारियों और खासकर निर्यातकों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

सरकार की ओर से एक अर्से से यह कहा जा रहा है कि जीएसटी रिफंड मिलने में देरी नहीं होगी, लेकिन सच्चाई यही है कि देरी का सिलसिला कायम है। एक अनुमान के अनुसार निर्यातकों के लगभग दस हजार करोड़ रुपये के जीएसटी रिफंड के दावे लंबित पड़े हैं। जाहिर है कि यह नौकरशाही की सुस्ती का नतीजा है। कम से कम मौजूदा माहौल में तो नौकरशाही को इसके प्रति सजग दिखना ही चाहिए कि मंदी के बादल जल्द से जल्द छंटें।

नि:संदेह यह भी समय की मांग है कि मंदी से निपटने के लिए राज्य सरकारें भी सक्रियता का परिचय दें। इस धारणा के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए कि मंदी से निपटना केवल केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है। क्या यह आवश्यक नहीं कि जिस तरह वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण उद्योगपतियों से मिलकर उनकी समस्याओं का निस्तारण करने की कोशिश कर रही हैैं उसी तरह राज्य सरकारों के प्रतिनिधि भी उद्योग जगत की मुश्किलों को हल करने के लिए आगे आएं। यह काम उन प्रांतों को तो अवश्य ही करना चाहिए जिनकी गिनती औद्योगिक राज्यों के तौर पर होती है।