रेल मंत्रालय ने कुछ चुनिंदा रेल मार्गो पर निजी क्षेत्र को रेल संचालन के लिए आमंत्रण देकर वह फैसला किया जिसके अमल का समय आ गया था। वास्तव में यह वक्त की मांग और जरूरत थी कि रेलवे निजीकरण की दिशा में आगे बढ़े। नि:संदेह भारत सरीखे देश में रेलवे का एक सामाजिक उत्तरदायित्व भी है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं हो सकता कि वह इसकी चिंता न करे कि भविष्य की जरूरतों को कैसे पूरा किया जाएगा? इसकी आवश्यकता एक अर्से से महसूस की जा रही थी कि रेलवे निजी क्षेत्र का सहयोग ले, लेकिन राजनीतिक कारणों से इस दिशा में कोई ठोस पहल नहीं हो पा रही थी।

यह अच्छा हुआ कि मोदी सरकार ने अपनी हिचक तोड़ी और रेलवे के निजीकरण की दिशा में कदम बढ़ा दिए। देश को जिस स्तर के रेल ढांचे और ट्रेन सुविधाओं की दरकार है वह तभी पूरी की जा सकती है कि जब निजी क्षेत्र भी हाथ बंटाए।

दुनिया के अन्य देश बेहतर रेल सेवाओं के मामले में हमसे आगे इसीलिए निकल गए, क्योंकि उन्होंने समय रहते निजी क्षेत्र का सहयोग लिया। दुर्भाग्य से अपने देश में ट्रेनों को गरीब की सवारी मान लिया गया और रेल मंत्रालय को राजनीतिक हितों की पूर्ति का जरिया बना दिया गया।

विडंबना यह है कि कुछ लोग अभी भी रेल के बहाने राजनीति करना चाह रहे हैं। हैरत नहीं कि इसमें राहुल गांधी अग्रणी दिखाई दे रहे हैं। रेलवे के निजीकरण की खबर मिलते ही उन्होंने विरोध जताते हुए कहा कि रेल गरीबों की एकमात्र जीवनरेखा है और सरकार उसे भी उनसे छीन ले रही है। उनका यह बयान यही बताता है कि अपने देश में रेलवे को लेकर घिसी-पिटी और आर्थिक रूप से घोर अनुपयोगी राजनीतिक मानसिकता किस तरह बरकरार है।

राहुल गांधी ने जैसा बयान दिया वैसा आम तौर पर वाम दलों के नेता दिया करते हैं। आर्थिक मामलों में राहुल गांधी और वाम दलों के नेताओं के बयानों में जिस तरह समानता बढ़ती जा रही है उससे यही पता चलता है कि कांग्रेस उधार की विचारधारा से काम चला रही है और उससे ही अपना राजनीतिक उद्धार भी करना चाहती है।

समझना कठिन है कि अगर उड्डयन क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी हो सकती है तो रेलवे में क्यों नहीं हो सकती? कल्पना करें कि अगर निजी एयरलाइंस न होतीं तो उड्डयन क्षेत्र का क्या परिदृश्य होता? गरीबों की दुहाई देकर रेलवे के आधुनिकीकरण में अड़ंगा लगाना एक तरह से गरीब विरोधी सोच ही है। आखिर यह मानकर क्यों चला जा रहा कि गरीबों को बेहतर रेल सुविधाएं नहीं चाहिए और वे रेल यात्रा भी सब्सिडी के सहारे करना चाहते हैं?