अपने दूसरे कार्यकाल का पहला वर्ष पूरा करने के बाद मोदी सरकार की पहली कैबिनेट बैठक में अर्थव्यवस्था को बल देने के लिए जो अनेक फैसले लिए गए उनकी महत्ता इससे स्थापित होती है कि उनके बारे में जानकारी देने का काम तीन केंद्रीय मंत्रियों ने किया। इस जानकारी के अनुसार एमएसएमई की परिभाषा को और संशोधित करने के साथ ही उद्योगों को वित्तीय संबल प्रदान के लिए कुछ और कदम उठाए जा रहे हैं। ऐसे फैसलों से उद्योग जगत के बीच आशा का संचार होना ही चाहिए, लेकिन आज की आवश्यकता यह है कि हालात वास्तव में बदलें और वह भी तेजी से।

अच्छा होता कि एमएसएमई की परिभाषा बदलने जैसे काम तभी कर लिए जाते जब इसे लेकर मांग भी की जा रही थी और इसकी जरूरत भी जताई जा रही थी। जरूरी नीतिगत फैसलों के लिए संकट की घड़ी का इंतजार करने का कोई मतलब नहीं। कोरोना संकट के बीच केंद्रीय सत्ता ने कई ऐसे फैसले लिए हैं जिनकी मांग एक अर्से की जा रही थी। कम से कम अब तो यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि फैसले वक्त की जरूरत के हिसाब से लिए जाएं और उन्हें बेवजह टाला न जाए।

यह अच्छा है कि केंद्रीय कैबिनेट ने सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्योगों के साथ-साथ किसानों और सड़क किनारे दुकान लगाने वालों की भी चिंता की। किसानों के हित संवर्धन के लिए खरीफ सीजन की 14 प्रमुख फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया जाना समय की मांग थी। कृषि मंत्री के अनुसार अब किसानों को लागत से 50 से लेकर 83 प्रतिशत अधिक कीमत मिलेगी, लेकिन बात तब बनेगी जब ऐसा वास्तव में हो। बेहतर होगा कि केंद्र सरकार ऐसा कोई सक्षम तंत्र बनाए जिससे किसान को अपनी उपज बेचने के लिए किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े। नि:संदेह ऐसा कोई तंत्र तभी बनेगा जब राज्य सरकारें अपनी सक्रियता दिखाएंगी।

राज्य सरकारें किसान हित की चिंता में खूब दुबली होती तो दिखती हैं, लेकिन खेती-किसानी के समक्ष कोई संकट आने पर वे ऐसा व्यवहार करती हैं जैसे सब कुछ करने की जिम्मेदारी केवल केंद्रीय सत्ता की है। यह रवैया ठीक नहीं। राज्यों को यह समझने की सख्त जरूरत है कि किसानों का भला तभी होगा जब वे अपने हिस्से की जिम्मेदारी का निर्वाह करेंगे। किसानों के साथ-साथ रेहड़ी-पटरी वालों के हितों की रक्षा भी तब होगी जब राज्य सरकारें उनके प्रति वैसी ही संवेदनशीलता का परिचय देंगी जैसी केंद्र सरकार ने दिखाई और उनके लिए आत्मनिर्भर निधि का गठन किया। राज्य सरकारों को यह देखना ही चाहिए कि फुटपाथ दुकानदार इस निधि का लाभ उठाने में सफल रहें।