प्रधानमंत्री ने कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए वैक्सीन का निर्माण करने वाले तीन अलग-अलग संस्थानों का दौरा करके एक तरह से हर किसी को यह संदेश देने का काम किया कि भारत इस मामले में दुनिया के साथ कदमताल कर रहा है। प्रधानमंत्री का एक ही दिन अहमदाबाद, हैदराबाद और पुणे की यात्रा करना और इन शहरों में स्थित संस्थानों में वैक्सीन के निर्माण की तैयारियों का जायजा लेना इसलिए उल्लेखनीय है, क्योंकि हाल में कछ अंतरराष्ट्रीय कंपनियों की ओर से ऐसे समाचार आए थे कि उनकी वैक्सीन निर्माण के अंतिम चरण में है और उनकी सफलता का प्रतिशत 90 से 95 तक है। इन स्थितियों में यह जिज्ञासा बढ़ना स्वाभाविक था कि देश की जनता के लिए वैक्सीन की उपलब्धता कब संभव होगी? प्रधानमंत्री का यह दौरा इस जिज्ञासा को शांत करने में सहायक बनना चाहिए।

यह उल्लेखनीय है कि जो अंतरराष्ट्रीय कंपनियां वैक्सीन का निर्माण कर रही हैं उनमें कुछ के साथ भारतीय कंपनियां भी सहयोगी की भूमिका में हैं। यह भरोसा बढ़ाने वाली बात है कि एक तरह से कोरोना महामारी के रूप में दुनिया की सबसे बड़ी चुनौती का सामना करने में भारतीय कंपनियां कहीं अधिक आगे दिख रही हैं। यह स्थिति विश्व के परिदृश्य में भारतीय कंपनियों के आगे बढ़ने का परिचायक है।

इसके प्रति सुनिश्चित हुआ जा सकता है कि आने वाले समय में कुछ और कंपनियां कोविड-19 महामारी से निपटने में कारगर वैक्सीन का निर्माण करने में सक्षम होंगी, लेकिन जब तक ऐसा नहीं हो जाता अर्थात टीका आम लोगों को उपलब्ध नहीं हो जाता तब तक यह अनिवार्य है कि लोग सावधानी बरतें और उन सब तौर-तरीकों का सख्ती से पालन करें जो कोरोना से बचे रहने में सहायक हैं। यह इसलिए कहीं अधिक आवश्यक है, क्योंकि एक तो वैक्सीन की उपलब्धता में अभी भी विलंब है और दूसरे, वैक्सीन निर्माण के तत्काल बाद इतने बड़े देश में सभी तक उसकी उपलब्धता सुनिश्चित करने में समय लग सकता है। एक अनुमान के तहत यह कहा जा सकता है कि अभी वैक्सीन उपलब्ध होने में दो से तीन माह का समय लग सकता है। तब तक यह जरूरी है कि लोग मास्क के इस्तेमाल के प्रति सजगता का परिचय दें। शारीरिक दूरी के प्रति जहां तक संभव हो सतर्क रहें और साफ-सफाई के साथ ही अपनी सेहत का ध्यान रखें।

यह ठीक नहीं कि तमाम अपील-अनुरोध और आग्रह के बावजूद सार्वजनिक स्थलों में वैसी सावधानी का परिचय नहीं दिया जा रहा है जैसी आवश्यक है। कम से कम सर्दियों के इस मौसम में सावधानी का स्तर और बढ़ना चाहिए। लोगों को यह समझने की आवश्यकता है कि उनकी लापरवाही इस महामारी के प्रकोप को और अधिक बढ़ाएगी ही।