हिमाचल प्रदेश की बेटियों ने साबित कर दिखाया है कि अगर हौसला और प्रोत्साहन मिले तो वे पीछे रहने वाली नहीं हैं। बेटियों ने फिर प्रदेशवासियों को गौरवान्वित होने का मौका दिया है। परिवार और समाज में कई विकट परिस्थितियों के बावजूद कई बेटियों ने अंतरराष्ट्रीय फलक पर प्रदेश का नाम रोशन किया है। प्रदेश में ऐसी बेटियों की उपलब्धि की फेहरिस्त तो लंबी है, लेकिन हाल ही में कई बेटियों ने अपने बुलंद हौसलों के कारण मंजिल हासिल की है। इन बेटियों के हौसले उन लोगों के लिए भी नजीर हैं जो अब भी बेटे की चाहत के लिए बेटियों को कोख में ही मार देते हैं। जनजातीय जिले किन्नौर की बेटी रेणुका नेगी को 46 लाख रुपये का सालाना पैकेज मिलना बड़ी उपलब्धि है। ऊना जिले के धुसाड़ा से संबंध रखने वाली अंजुम मौदगिल ने गोल्ड कोस्ट में हुई राष्ट्रमंडल खेलों में देश के लिए रजत पदक जीतकर गौरव बढ़ाया है। सिरमौर जिले की कबड्डी खिलाड़ी डिंपल का स्किल इंडिया प्रोग्राम में चयन होना बताता है कि प्रदेश में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। बस जरूरत है उन्हें सही दिशा व प्रशिक्षण देने की ताकि वे उड़ान भर सकें। इसी तरह प्रदेश की सबसे कम उम्र की पंचायत प्रधान मंडी जिले की जबना चौहान को देश की 100 प्रभावशाली महिलाओं में स्थान मिलना गौरव की बात है। मुख्यमंत्री के गृह हलके सराज की थरजूण पंचायत की युवा प्रधान जबना ने अपनी पंचायत को स्वच्छता के क्षेत्र में जिला में प्रथम स्थान हासिल करवाया था। जबना के हौसले और इच्छाशक्ति के कारण पंचायत में शराबबंदी की गई है। हालांकि उसे इस दौरान कई चुनौतियों का सामना भी करना पड़ा है, लेकिन अपने मजबूत इरादे के कारण पंचायत में शराबबंदी को पूरी तरह से लागू किया। इसी कारण उसे सबसे बेहतरीन पंचायत प्रधान का खिताब भी प्रधानमंत्री के हाथों प्राप्त हुआ है। स्वच्छता की अलख जगाने के लिए फिल्म अभिनेता अक्षय कुमार ने भी अपनी फिल्म टॉयलेट-एक प्रेम कथा के प्रमोशन कार्यक्रम में भी जबना को सम्मानित किया है। इन बेटियों की उपलब्धियों से माता-पिता के साथ प्रदेश का नाम भी रोशन हुआ है, लेकिन समाज के कुछ लोग अब भी बेटियों से दोयम दर्जे का व्यवहार करते हैं। बेटे की चाहत के लिए भ्रूण हत्या जैसे घिनौने अपराध को अंजाम देते हैं। जरूरत है बेटियों के प्रति सोच बदलने की, ताकि उन्हें उनके हिस्से का आकाश मिल सके।

[स्थानीय संपादकीय: हिमाचल प्रदेश]