पंजाब में गैंगस्टरों की ओर से व्यापारियों और विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं को लगातार धमकियां देने और रंगदारी मांगने की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। पंजाबी गायक व कांग्रेस नेता सिद्धू मूसेवाला की हत्या के बाद विपक्ष कानून व्यवस्था के मुद्दे पर सरकार को लगातार घेर रहा है। मंगलवार को कार्यकारी डीजीपी का पदभार संभालने वाले गौरव यादव की पुलिस अधिकारियों के साथ पहली बैठक में भी कानून व्यवस्था की चिंता साफ दिखी।

दरअसल वर्तमान सरकार के बने तीन माह से ज्यादा हो गए हैं, लेकिन कुछ ऐसे मुद्दे हैं जिनको लेकर सरकार लगातार कठघरे में है। प्रदेश में सबसे बड़ी समस्या नशे की है। तीन माह में सौ से ज्यादा लोग नशे के कारण दम तोड़ चुके हैं जिनमें ज्यादातर युवा थे। विधानसभा चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी ने वादा किया था कि सत्ता में आते ही नशा तस्करी पर पूरी तरह से नकेल कसी जाएगी, लेकिन अभी तक सरकार कुछ खास नहीं कर सकी है।

कार्यकारी डीजीपी ने अपनी जो प्राथमिकताएं गिनाई हैं उनमें नशे का मुद्दा भी है। उन्होंने पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों को हिदायत देकर अच्छा ही किया है। नशा तस्करी न रुकने का एक बड़ा कारण तस्करों से कुछ पुलिस कर्मचारियों की मिलीभगत भी है। यह देखना होगा कि संदिग्ध आचरण वाले पुलिस कर्मचारियों की समय रहते पहचान कैसे की जाए। बेशक दोषी पाए जाने पर पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों को बर्खास्त किया गया है, लेकिन ऐसा निगरानी तंत्र विकसित किया जाना चाहिए जिससे मामला तत्काल पकड़ में आ जाए। गैंगस्टरों पर नकेल कसना अति आवश्यक है, क्योंकि लोगों में डर व्याप्त हो रहा है।

पुलिस नाकों पर सख्ती बढ़ाने के साथ ही गैंगस्टरों के खिलाफ तत्काल अभियान चलाए जाने की आवश्यकता है। नाकों पर पुलिस की मुस्तैदी की जांच करने के लिए औचक निरीक्षण भी किया जाना चाहिए। कई बार ऐसा देखने में आता है कि नाके तो लगा दिए जाते हैं, लेकिन वहां तैनात पुलिस कर्मचारी आराम कर रहे होते हैं और वाहनों की कोई जांच नहीं होती।