कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं सुप्रीम कोर्ट के वकील कपिल सिब्बल ने यह कहकर नागरिकता संशोधन कानून का विरोध कर रहे लोगों और साथ ही राजनीतिक दलों को आईना ही दिखाया कि कोई राज्य सरकार संसद से पारित कानून को लागू करने से इन्कार नहीं कर सकती। यह कोई नई-अनोखी बात नहीं। कपिल सिब्बल ने तो वही कहा जो विधिसम्मत और न्यायसंगत है। विडंबना यही है कि यह सीधी-सच्ची बात कांग्रेस शासित राज्य सरकारों को भी नहीं समझ आ रही है। वास्तव में यह कहना ज्यादा ठीक होगा कि वे बुनियादी संवैधानिक स्थिति को न समझने का दिखावा करने में लगी हुई हैं।

शायद वे भाजपा विरोधी अन्य दलों की सरकारों से होड़ ले रही हैं और इसीलिए पंजाब विधानसभा ने यह जानते हुए भी नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया कि उसका कोई मूल्य-महत्व नहीं। यही काम केरल विधानसभा भी कर चुकी है। यह और कुछ नहीं, संवैधानिक अपरिपक्वता का शर्मनाक उदाहरण ही है। ऐसे उदाहरण पेश कर न केवल भारतीय लोकतंत्र का उपहास उड़ाया जा रहा है, बल्कि उन लोगों को खुराक देने का काम भी किया जा रहा है जो नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ सड़कों पर उतरने में लगे हुए हैं।

यह शायद पहली बार है जब विपक्षी राजनीतिक दल सच को झूठ की शक्ल देकर आम लोगों को गुमराह करने में जुटे हैं। यह तय है कि सच से अवगत होने पर लोग न केवल खुद को ठगा हुआ महसूस करेंगे, बल्कि अपने को बरगलाने वाले दलों को कोसेंगे भी। इस पर आश्चर्य नहीं कि कपिल सिब्बल के बयान को अन्य विपक्षी नेताओं के साथ-साथ कांग्रेस के नेताओं ने भी सही माना। इनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील सलमान खुर्शीद भी हैं। कम से कम अब तो कांग्रेस को नागरिकता संशोधन कानून के मामले में झूठ की राजनीति करना बंद कर देना चाहिए।

इस राजनीति का औचित्य इसलिए भी नहीं, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट चंद दिनों बाद उन तमाम याचिकाओं की सुनवाई करने जा रहा है जो नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ दायर की गई हैं। इनमें एक याचिका तो कांग्रेस के नेता की ही है और एक अन्य याचिकाकर्ता के वकील खुद सिब्बल हैं। आखिर जब इस कानून के खिलाफ कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट के स्तर पर भी सक्रिय है तब फिर वह लोगों को उकसा कर सड़कों पर क्यों उतार रही है? शायद उसके ऐसे ही आचरण पर इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने राहुल गांधी को एक अक्षम नेता करार दिया। कांग्रेस उनसे नाराज हो सकती है, लेकिन उनका यह आकलन सही है कि नरेंद्र मोदी के आगे राहुल कहीं नहीं ठहरते और उनके प्रभावी रहते कांग्रेस का कोई भविष्य नहीं।