कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक मानस भुइयां पार्टी में अलग-थलग पड़ते जा रहे हैं। चार दशक के राजनीतिक जीवन में मानस कांग्रेस के समर्पित नेता रहे हैं। पार्टी में कभी किसी ने उनकी निष्ठा पर अंगुली नहीं उठाई। मानस ने एक बार कहा था कि वह कांग्रेस का झंडा लेकर ही मरना पसंद करेंगे। इसी से उनकी कांग्रेस के प्रति निष्ठा का अंदाजा लगाया जा सकता है। लेकिन इधर परिस्थितियां कुछ ऐसी बदली कि वह अचानक पार्टी में हाशिये पर चले गए। अब वह पार्टी में एक विधायक के अलावा कुछ नहीं हैं। इसलिए सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस ने जब मानस को लोकलेखा समिति (पीएसी) का चेयरमैन पद सौंपा तो उन्होंने सहर्ष ग्रहण कर लिया। मानस का यह पद स्वीकार करना उनके लिए मुसीबत बन गई। प्रदेश कांग्रेस और कांग्रेस विधायक दल ने मानस को पीएसी का चेयरमैन पद छोड़ देने का निर्देश दिया। प्रदेश कांग्रेस के इस बारे में शिकायत करने पर कांग्रेस हाईकमान ने भी मानस को पीएसी का पद छोडऩे का निर्देश दिया लेकिन वह इसके लिए तैयार नहीं हुए। इसे लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और विपक्ष के नेता अब्दुल मन्नान के साथ मानस की टकराव बढ़ती गई। अंत में कांग्रेस विधायक दल ने मानस को निलंबित करने का निर्णय किया और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर चौधरी ने कांग्रेस हाईकमान से मानस को पार्टी से निकालने की सिफारिश की। कांग्रेस हाईकमान ने इस मामले में मानस के प्रति कोई सहानुभूति नहीं दिखाई। कांग्रेस हाईकमान ने मानस को पार्टी विरोधी गतिविधियां चलाने पर उनसे स्पष्टीकरण मांगा है। एके एंटोनी के नेतृत्व में कांग्रेस की केंद्रीय अनुशासनात्मक कमेटी ने मानस को पत्र भेज कर 15 दिनों के अंदर स्पष्टीकरण देने को कहा है। प्रदेश कांग्रेस ने उनके द्वारा लगातार मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की प्रशंसा करने की भी कांग्रेस हाईकमान से शिकायत की है। अब एके एंटोनी के नेतृत्ववाली पार्टी की अनुशासनात्मक कमेटी ने मानस से पूछा है कि क्यों ने उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाए। हालांकि मानस ने कांग्रेस हाईकमान का ऐसा कोई पत्र मिलने से इनकार किया है। खैर पत्र नहीं मिला है तो वह देर सबेर मिल ही जाएगा। पत्र मिलने पर मानस उसका जवाब दे सकते हैं जिसमें वह प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर चौधरी और विपक्ष के नेता अब्दुल मन्नान को ही ऐसी परिस्थिति पैदा होने के लिए जिम्मेदार ठहराएंगे। लेकिन मानस को समझना चाहिए कि अधीर और मन्नान के साथ कांग्रेस हाईकमान ने भी उनसे पीएसी का चेयरमैन पद से इस्तीफा देने का निर्देश दिया था। कांग्रेस हाईकमान के निर्देश पर कांग्रेस विधायक दल ने पीएसी का चेयरमैन पद वाममोर्चा के विधायक दल के नेता सुजन चक्रवर्ती को देने का निर्णय किया था। यह जानते हुए भी मानस ने पीएसी का चेयरमैन पद ग्रहण किया। अब कांग्रेस के कार्रवाई करने पर मानस तृणमूल में शामिल होते हैं तो इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी।

[ स्थानीय संपादकीय : पश्चिम बंगाल ]