आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरे को देखते हुए पाकिस्तान के साथ नियंत्रण रेखा के जरिये होने वाले व्यापार पर रोक के फैसले को उचित ही कहा जाएगा, लेकिन यह एक सवाल तो है ही कि क्या इस आशय की सूचनाएं अभी मिलीं कि व्यापार की आड़ में पाकिस्तान से हथियार, नकली करेंसी, मादक पदार्थ आदि भेजे जा रहे थे? यह सवाल इसलिए, क्योंकि एक अर्से से यही माना जा रहा था कि पाकिस्तान भारत से व्यापार बहाने तबाही का सामान भेजने में लगा हुआ है।

क्या यह अच्छा नहीं होता कि सीमा व्यापार को तभी बंद करने का फैसला कर लिया जाता जब पाकिस्तान को तरजीही राष्ट्र के दर्जे से वंचित किया गया था? यह काम जम्मू-कश्मीर में चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के पहले भी किया जा सकता था, क्योंकि इसकी आशंका पहले दिन से थी कि पाकिस्तान घाटी में चुनाव प्रक्रिया को बाधित और प्रभावित करने का काम कर सकता है। यह ठीक नहीं कि इस आशंका के बावजूद पाकिस्तान से सीमा व्यापार बंद करने का फैसला तब लिया गया जब राज्य में मतदान के दो चरण निकल गए। कम से कम अब तो यह देखा ही जाना चाहिए कि जम्मू-कश्मीर में कोई ऐसा छिद्र शेष न रहे जिसका घाटी के अलगाववादी और आतंकवादी लाभ उठा सकें।

इस मामले में गहन समीक्षा इसलिए जरूरी है, क्योंकि घाटी में पाकिस्तानपरस्त तत्वों की तादाद कम होती नहीं दिख रही है। आखिर इसका क्या मतलब पाकिस्तान के इशारों पर केवल उसके ही हितों के लिए काम करने वाला संगठन हुर्रियत कांफ्रेंस किसी न किसी रूप में अभी भी सक्रिय है? आखिर इस संगठन की सक्रियता से भारत के हितों की पूर्ति कैसे हो रही है?

जितना जरूरी यह है कि घाटी के पाकिस्तानपरस्त तत्वों के खिलाफ सख्ती बरती जाए उतना ही यह भी कि वहां के अमनपसंद और भारत समर्थक लोगों का भरोसा जीता जाए। कश्मीर के आम लोगों तक पहुंच बढ़ाने की आवश्यकता इसलिए है, क्योंकि वहां के नेताओं से अधिक उम्मीद नहीं है। क्या यह किसी से छिपा है कि महबूबा मुफ्ती अलगाववादियों वाली भाषा बोलने में लगी हुई हैं? यह आवश्यक ही नहीं, अनिवार्य है कि जम्मू-कश्मीर को पटरी पर लाने के लिए वहां जो भी कदम उठाए जाने हैं वे एक साथ उठाए जाएं-वे चाहे पाकिस्तान पर लगाम लगाने संबंधी हों या फिर घाटी के लोगों में भरोसा जगाने संबंधी।

इसका कोई औचित्य नहीं कि रुक-रुककर छोटे-बड़े फैसले लिए जाते रहें। पाकिस्तान जब तक कश्मीर में दखल देने में समर्थ रहेगा तब तक वह भारत को तंग करता रहेगा। हैरानी नहीं कि सीमा व्यापार बंद होने के बाद वह जम्मूकश्मीर की सुरक्षा संबंधी अन्य कमजोरियों का लाभ उठाने की कोशिश करे।

भारत सरकार को इससे भी परिचित होना चाहिए कि पाकिस्तान केवल कश्मीर में ही दखल देने की कोशिश नहीं करता, बल्कि वह शेष भारत में भी यही करने की कोशिश करता है। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान का हालिया बयान इसका सुबूत है कि पाकिस्तान भारत की चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित करना चाह रहा है। कुछ समय पहले इमरान खान यह भी नसीहत दे रहे थे कि भारत में मुसलमानों के साथ किस तरह व्यवहार किया जाना चाहिए।