पंजाब एंड महाराष्ट्र सहकारी बैैंक में गड़बड़ी को लेकर प्रवर्तन निदेशालय की ओर से मनी लांड्रिंग का मामला दर्ज किया जाना यही बताता है कि एक और बैैंक घोटाले की चपेट में आ गया। यह ठीक नहीं कि सरकारी बैैंकों के कामकाज के बाद सहकारी बैैंकों की कार्यप्रणाली भी संदेह के दायरे में आ गई। इसका सीधा मतलब है कि बैैंकों का नियमन और उनके कामकाज की निगरानी सही तरह नहीं हो रही है। इससे संतुष्ट नहीं हुआ जा सकता कि पंजाब एंड महाराष्ट्र बैैंक के बर्खास्त प्रबंध निदेशक ने यह मान लिया कि निदेशक मंडल ने एनपीए की वास्तविक स्थिति छिपाई।

सवाल है कि जब निदेशक मंडल के सदस्य हेराफेरी कर रहे थे तो वह स्वयं क्या कर रहे थे? उनकी मानें तो ऑडिट करने वालों ने भी अपना काम सही तरह नहीं किया। पता नहीं सच क्या है, लेकिन ऑडिट के नाम पर खानापूरी का यह पहला मामला नहीं। पंजाब एंड महाराष्ट्र बैैंक की ओर से कुछ ऐसी कंपनियों और खासकर एचडीआइएल नामक कंपनी को जरूरत से ज्यादा कर्ज दे दिया गया। वह कर्ज लौटाने की स्थिति में ही नहीं थी। यह भी हो सकता है कि उसका कर्ज लौटाने का इरादा ही न हो। भले ही इस कंपनी के अधिकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया हो, लेकिन बात तो तब बनेगी जब इस बैैंक को ठगने और लाखों बैैंक उपभोक्ताओं के भरोसे का खून करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।

नि:संदेह सख्त कार्रवाई की जद में वे भी आने चाहिए जिनके दखल से अपात्र लोगों को भारी-भरकम कर्ज दिया गया। यह दखल राजनीतिक लोगों का ही रहा होगा, क्योंकि यह किसी से छिपा नहीं कि सहकारी बैैंक नेताओं या फिर उनके सगे-संबंधियों की मनमानी का अड्डा बन गए हैैं। इसका एक उदाहरण महाराष्ट्र सहकारी बैैंक में वह घोटाला है जिसमें शरद पवार के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है। यह ठीक है कि रिजर्व बैैंक अब सहकारी र्बैैंंकग क्षेत्र में बड़े बदलाव पर विचार कर रहा है, लेकिन सवाल यह है कि यह ख्याल एक और घोटाला सामने आने के बाद ही क्यों आया?

इस सवाल से सरकार को भी दो-चार होना होगा, क्योंकि वह इससे अनजान नहीं हो सकती कि सहकारी बैैंक दोहरे नियमन से गुजर रहे हैं। ये बैैंक रिजर्व बैैंक के दायरे में तो हैैं, लेकिन उन पर वास्तविक नियंत्रण सहकारी समितियों का होता है। इन समितियों पर आम तौर पर नेताओं का कब्जा होता है और वे सहकारी बैैंक चलाने के नाम पर बंदरबाट ही अधिक करते हैैं। कम से कम अब तो ऐसे कदम उठाए ही जाने चाहिए जिससे हर तरह के बैैंक घपलेबाजी से बचे रह सकें।