रिजर्व बैंक ने देश की अर्थव्यवस्था को महामारी कोविड-19 के दुष्प्रभावों से बचाने के लिए जिन उपायों की घोषणा की उनका आम तौर पर स्वागत हुआ है, लेकिन बात तब बनेगी जब इन उपायों का सकारात्मक असर जमीन पर भी दिखाई देगा। रिजर्व बैंक की ओर से उठाए गए कदमों से पूंजी बाजार में नकदी की उपलब्धता तो आसान होगी, लेकिन इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि कोरोना वायरस से उपजी महामारी के पांव पसारने के पहले ही भारतीय अर्थव्यवस्था सुस्ती के दौर से गुजर रही थी।

रिजर्व बैंक ने बैंकों को कर्ज वितरण के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से रिवर्स रेपो दर में कटौती करने के साथ ही एनपीए से संबंधित प्रावधानों में भी ढील दी है। इससे बैंकों को कर्ज देने में आसानी अवश्य होगी, लेकिन देखना यह होगा कि कारोबारी कर्ज लेकर अपना उद्यम बढ़ाने के लिए आगे आते हैं या नहीं? वे तो तभी उत्साहित होंगे जब मांग बढ़ेगी। मौजूदा माहौल में मांग बढ़ना आसान नहीं, क्योंकि कामकाज ठप है और लोग घर बैठे हैं। बहुत से लोग अपने आर्थिक भविष्य को लेकर भी चिंतित हो उठे हैं। ऐसे माहौल में मांग बढ़ाना किसी चुनौती से कम नहीं, लेकिन इस चुनौती का सामना करने के अलावा और कोई उपाय भी नहीं।

यह ठीक है कि रिजर्व बैंक की घोषणा के बाद शेयर बाजार में उत्साह का माहौल दिखा, लेकिन उसके आधार पर इस नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सकता कि कारोबारी माहौल ठीक होने जा रहा है। शायद यही कारण है कि रिजर्व बैंक की ओर से अपने हिस्से की जिम्मेदारी का निर्वाह किए जाने के बाद सरकार की ओर से घोषित होने वाले आर्थिक पैकेज का इंतजार किया जा रहा है। इस पैकेज में क्या कुछ होगा, यह तो उसके सामने आने के बाद ही पता चलेगा, लेकिन सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि उसके उपाय वास्तव में असरकारी साबित हों।

उसका सबसे अधिक ध्यान छोटे एवं मझोले उद्योगों को सहारा देने पर होना चाहिए, क्योंकि महामारी की मार उन पर ही ज्यादा पड़ी है। ऐसे कई उद्योगों के पास अपने कर्मचारियों को वेतन देने के लिए पैसे का अभाव है। इस अभाव को प्राथमिकता के आधार पर दूर करने वाले उपाय किए जाने चाहिए, अन्यथा एक ऐसे वक्त कामगारों की छंटनी की नौबत आ सकती है जब सरकार यह अपेक्षा कर रही है कि न तो किसी का वेतन रुके और न ही किसी की नौकरी जाए। सरकार को अपने पैकेज को अंतिम रूप देने के साथ ही कोरोना के साये में सतर्कता के साथ अधिकाधिक कारोबारी गतिविधियों को संचालित करने के तौर-तरीके तय करने की भी तैयारी करनी चाहिए।