सड़क हादसे पहाड़ी प्रदेश हिमाचल की नियति बनते जा रहे हैं। लगातार हो रहे हादसे ऐसे नियमित क्रम की तरह हैं, जिन्हें रोकने के लिए हर पक्ष की पहल और योगदान जरूरी है। एक दिन पहले ऊना जिले के चिंतपूर्णी के पास जवाल गांव में डेरा ब्यास की संगत को लेकर लौट रहा ट्राला पलटने से चार महिलाओं की मौत हो गई जबकि सिरमौर जिले के रोनहाट में कार खाई में गिरने से तीन लोगों ने दम तोड़ दिया। इनके अलावा भी हर रोज हादसों के कारण लोगों के जान गंवाने के मामलों की बारंबारता बताती है कि सबक सीखने के लिए कोई तैयार नहीं है। न तो अपनी जिंदगी की परवाह की जा रही है और न ही दूसरों की।

दोनों हादसों के कारण व हालात अलग-अलग हैं, लेकिन ये हादसे बताते हैं कि जिम्मेदारी को बोझ मानकर ढोया जा रहा है। हादसे किसी भी वजह से हों लेकिन इनमें होने वाले नुकसान की भरपाई कोई नहीं कर सकता। आंकड़ों की मानें तो प्रदेश में होने वाले 90 फीसद हादसों का कारण मानवीय चूक है। जवाल में हुआ हादसा मानवीय चूक का ही कारण माना जा रहा है। हादसा होने पर तकनीकी खराबी व सड़कों की खराब हालत के तर्क दिए तो जाते हैं, लेकिन मालवाहक में बैठने-बिठाने से परहेज कोई नहीं करना चाहता। हादसे रोकने के लिए हर जगह पुलिस को तैनात नहीं किया जा सकता।

वाहन चालकों व सवारियों को भी मानवीय विवेक का परिचय देना चाहिए ताकि हादसों के क्रम पर विराम लग सके। सबसे जरूरी है कि जब तक सड़क पर चलने व वाहन चलाने का सलीका लोगों को नहीं आएगा, सुरक्षित यातायात की कल्पना करना बेमानी होगा। पहाड़ी राज्य में तो नागरिकों को अधिक जिम्मेदारी से पेश आना चाहिए। मामला जब किसी की जिंदगी का हो तो संवेदनशीलता की दीवार टूटनी नहीं चाहिए। हादसों को रोकने व उनका असर कम करने के लिए सभी पक्षों को जिम्मेदारी समझनी होगी। होना यह चाहिए कि यातायात पुलिस नियमों को उल्लंघन करने वालों के साथ सख्ती से पेश आए।

साथ ही वाहन चालक सजा या जुर्माने से बचने के लिए ही नियमों का पालन न करें। लोक निर्माण विभाग सड़कों की दशा सुधारे व दुर्घटना की दृष्टि से संवेदनशील स्थानों पर चेतावनी बोर्ड लगाए। इसमें संदेह नहीं कि शासन, प्रशासन और समाज ही मिल कर सड़क हादसे रोक सकते हैं। उम्मीद यही है सब जागेंगे व हादसों से जीवन को सुरक्षित रखेंगे।हादसों में जान गंवाने के मामलों की बारंबारता बताती है कि सबक सीखने को कोई तैयार नहीं है। न अपनी और न दूसरों की जिंदगी की परवाह की जा रही है।

(स्थानीय संपादकीय हिमाचल प्रदेश)