यह अच्छी बात है कि कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए अपना घोषणा पत्र जारी करने में तत्परता दिखाई। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की ओर से जारी घोषणा पत्र को जिस तरह भर्ती विधान युवा घोषणा पत्र नाम दिया गया, उससे यह स्पष्ट है कि पार्टी युवाओं को अपनी ओर आकर्षित करना चाहती है। कांग्रेस ने वादा किया है कि यदि वह सत्ता में आती है तो शिक्षकों, पुलिसकर्मियों आदि की बड़े पैमाने पर भर्ती करने के साथ 20 लाख सरकारी नौकरियां देगी और वह भी गारंटी के साथ। इस घोषणा पत्र में अन्य अनेक वादे भी किए गए हैं, लेकिन यह साफ है कि ज्यादा जोर सरकारी नौकरियों पर है। नि:संदेह कोई भी सरकार हो, उसे रिक्त पदों पर प्राथमिकता के आधार पर भर्तियां करनी ही चाहिए, लेकिन इसी के साथ ऐसे जतन भी जरूरी हैं, जिससे निजी क्षेत्र सक्षम बने और वह ज्यादा से ज्यादा रोजगार के अवसर पैदा कर सके। पता नहीं क्यों कांग्रेस के घोषणा पत्र में इस बारे में विस्तार से ज्यादा कुछ नहीं कहा गया, जबकि आज की आवश्यकता यही है कि निजी क्षेत्र रोजगार के अवसरों का सबसे बड़ा जरिया बने। यह आवश्यकता इसलिए है, क्योंकि सरकारी नौकरियां सीमित हैं और सरकारें चाहकर भी सभी युवाओं को उनमें नहीं खपा सकतीं।

यदि सरकारी नौकरियों के सहारे देश को अपेक्षा के अनुरूप समृद्ध बनाया जा सकता होता तो न जाने कब बन जाता। वास्तव में यह समय इस सोच को बदलने का है कि केवल सरकारी नौकरियों के सहारे समाज और देश को समृद्धि की ओर ले जाया जा सकता है। किसी को भी और कम से कम कांग्रेस को तो इससे भली तरह परिचित होना चाहिए कि हाल के दशकों में देश ने जो समृद्धि हासिल की, उसके पीछे उदारीकरण की उन नीतियों का बड़ा हाथ है, जिनके जरिये अर्थव्यवस्था को खोलने का काम किया गया। इसकी शुरुआत कांग्रेस के समय में ही तब हुई थी, जब नरसिंह राव प्रधानमंत्री थे और मनमोहन सिंह वित्त मंत्री। यह विडंबना है कि जिस कांग्रेस के समय अर्थव्यवस्था को खोलने के कदम उठाकर देश को आर्थिक रूप से एक नए युग में ले जाने का काम किया गया, उसी के नेता और खासकर राहुल गांधी अब न केवल उद्यमियों को लांछित करने में लगे हुए हैं, बल्कि यह समझाने की कोशिश भी कर रहे हैं कि मोदी सरकार दो-तीन उद्योगपतियों के लिए चल रही है।