भ्रष्टाचार के आरोप में गैस अथारिटी आफ इंडिया लिमिटेड के मार्केटिंग निदेशक ईएस रंगनाथन की गिरफ्तारी यही बताती है कि तमाम दावों के बावजूद भ्रष्टाचार पर प्रभावी लगाम नहीं लग पा रही है। सीबीआइ ने रंगनाथन के साथ पांच अन्य लोगों को भी गिरफ्तार किया है। इनमें कुछ कारोबारी भी हैं। इन दिनों भ्रष्टाचार का एक अन्य मामला भी चर्चा में है जिसमें नेशनल सिक्योरिटी गार्ड के डिप्टी कमांडेंट प्रवीण यादव को 131 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी के मामले में गिरफ्तार किया गया है। इस अधिकारी ने कितने बड़े पैमाने पर अपनी धोखाधड़ी का जाल फैला रखा था इसका पता इससे चलता है कि उसके करीब 45 खाते फ्रीज किए गए हैं।

प्रवीण यादव भी रंगनाथन की तरह से बिचौलियों के जरिये भ्रष्टाचार करने में लगा हुआ था। भ्रष्टाचार के ये दोनों मामले महज अपवाद के रूप में नहीं देखे जाने चाहिए, क्योंकि तथ्य यह है कि इस तरह के मामले रह-रहकर सामने आते ही रहते हैं। सीबीआइ के भ्रष्टाचार विरोधी अभियान के तहत जब भी छापेमारी होती है तो भ्रष्टाचार के अनेक मामले सामने आते हैं। इनमें कुछ की गिरफ्तारी भी होती है, लेकिन इसके बाद भी यह मुश्किल से ही पता चलता है कि भ्रष्ट तत्वों के खिलाफ क्या कठोर कार्रवाई हुई।

यदि भ्रष्ट अधिकारियों को यथाशीघ्र सजा देने में सफलता नहीं मिलती तो फिर भ्रष्ट तत्वों को हतोत्साहित नहीं किया जा सकता। भ्रष्टाचार के ज्यादातर मामलों में यही सामने आता है कि अधिकारी और कारोबारी मिलकर मनमानी करते हैं। भ्रष्ट अधिकारियों और कारोबारियों के बीच मिलीभगत कोई नई बात नहीं है, लेकिन यह चिंता की बात है कि इस मिलीभगत को तोड़ने में अपेक्षित सफलता मिलती हुई नहीं दिख रही है। यह ठीक है कि केंद्र सरकार के शीर्ष स्तर पर भ्रष्टाचार पर लगाम लगी है और भ्रष्टाचार का कोई बड़ा मामला पिछले छह-सात सालों में सामने नहीं आया है, लेकिन यह तो चिंताजनक है ही कि निचले स्तर पर व्याप्त भ्रष्टाचार में कोई उल्लेखनीय कमी आती नहीं दिख रही है।

यह कमी कैसे आए इस पर सरकार को गंभीरता से विचार करना होगा। आवश्यक केवल यह नहीं है कि भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों की निगरानी हो और उनके खिलाफ समय-समय पर छापेमारी भी की जाए। इसके साथ ही आवश्यक यह भी है कि उन कारणों का निवारण भी किया जाए जिनके चलते अधिकारी भ्रष्टाचार करने में सक्षम बने हुए हैं। सरकार को इसकी भी अनदेखी नहीं करनी चाहिए कि अधिकारियों और कारोबारियों के बीच साठगांठ के चलते बड़े पैमाने पर टैक्स चोरी भी हो रही है। यह टैक्स चोरी भी भ्रष्टाचार का ही रूप है। लिहाजा सरकार भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए नए उपायों पर विचार करे।