आखिरकार पाकिस्तान भारत के असैन्य विमानों के लिए अपना हवाई क्षेत्र खोलने के लिए विवश हुआ। ऐसा करना उसकी मजबूरी ही रही, क्योंकि अभी कल तक वह यह कह रहा था कि भारत पहले अपने लड़ाकू विमानों को सीमांत इलाकों से पीछे हटाए। यही नहीं उसने अपने हवाई क्षेत्र को बंद रखने की समय सीमा 26 जुलाई तक बढ़ा भी दी थी। चूंकि भारत ने पाकिस्तान की मांग पर गौर करने से इन्कार कर दिया था इसलिए यह माना जा रहा था कि वह भारतीय विमानों के लिए अपने हवाई क्षेत्र को बंद ही रखेगा, लेकिन अब उसने यकायक अपने फैसले को बदलना बेहतर समझा।

पाकिस्तान ने फरवरी में बालाकोट में हवाई हमले के बाद से ही भारतीय यात्री विमानों के लिए अपना हवाई क्षेत्र बंद कर दिया था। इस तरह के और हवाई हमले की आशंका के चलते उसने अपने हवाई क्षेत्र को बंद रखने में ही भलाई समझी। नि:संदेह इस पाबंदी के चलते भारतीय विमानन कंपनियों को नुकसान उठाना पड़ा रहा था। यूरोप जाने वाले उनके विमानों को अधिक दूरी तय करनी पड़ रही थी। नि:संदेह इस पाबंदी का सबसे अधिक नुकसान एयर इंडिया को उठाना पड़ रहा था, लेकिन खुद पाकिस्तान भी परेशान था। उसे हवाई पथ संबंधी शुल्क से वंचित होना पड़ रहा था। यह किसी से छिपा नहीं कि बीते कुछ समय से पाकिस्तान किस तरह गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है। यह मानने के अच्छे-भले कारण हैैं कि इसी आर्थिक संकट ने पाकिस्तान को भारतीय विमानों के लिए अपना हवाई क्षेत्र खोलने के लिए मजबूर किया।

यह अच्छा हुआ कि भारत ने पाकिस्तान को ऐसा कोई आश्वासन देने से इन्कार किया कि उसकी हवाई सीमा का सैन्य अतिक्रमण नहीं किया जाएगा। ऐसा आश्वासन तो तभी दिया जा सकता है कि जब पाकिस्तान भारत विरोधी गतिविधियों को खत्म करने का न केवल आश्वासन दे, बल्कि उसे पूरा भी करे। उसके आश्वासन पर यकीन इसलिए नहीं किया जा सकता, क्योंकि आतंकवाद पर लगाम लगाने के मामले में उसकी कथनी और करनी के अंतर से पूरी दुनिया परिचित है। पाकिस्तान आतंकवाद पर लगाम लगाने के मामले में कितना अगंभीर है, इसका पता इससे चलता है कि वह रह-रह कर उन्हीं आतंकी संगठनों पर पाबंदी लगाने की घोषणा करता है जिन्हें पहले ही कथित तौर पर प्रतिबंधित किया जा चुका होता है। यह भी जग जाहिर है कि वह भारत और साथ ही अफगानिस्तान के लिए खतरा बने आतंकी संगठनों को खुले-छिपे तौर पर समर्थन देता रहता है।

आर्थिक संकट के साथ अन्य गंभीर समस्याओं से दो-चार होने के बाद भी पाकिस्तान आतंकवाद को संरक्षण देने से बाज नहीं आ रहा है। यह समय पाकिस्तान पर किसी तरह की नरमी बरतने का नहीं, बल्कि उस पर दबाव बढ़ाने का है ताकि वह अपने रवैये में सचमुच तब्दीली लाए। भले ही पाकिस्तान यह रोना रो रहा हो कि संबंध सुधार में भारत का रवैया बाधक है, लेकिन सच्चाई यही है कि खुद उसकी अपनी हरकतों के कारण भारत उससे बातचीत करने की जरूरत नहीं समझ रहा है। बेहतर होगा कि पाकिस्तान को यह संदेश बार-बार दिया जाए कि रिश्तों में बिगाड़ के लिए वही जिम्मेदार है।