चीन की जुगलबंदी के कारण पाकिस्तान आतंकियों को महिमा मंडित करने वाला देश बन गया है
यह पाक की दीवालिया सोच का ही प्रमाण है कि इमरान खान पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की भैैंसों की नीलामी कर देश की आर्थिक सेहत ठीक कर सकते हैैं।
इस पर हैरानी नहीं कि चीन ने एक बार फिर आतंकवादी संगठन जैश-ए-मुहम्मद के कुख्यात सरगना मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने के प्रस्ताव पर अड़ंगा लगा दिया। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में चीन बार-बार इस आतंकी सरगना के पक्ष में खड़े होकर केवल कूटनीतिक बेशर्मी का ही परिचय नहीं दे रहा है, बल्कि पाकिस्तान को आतंक के साथ-साथ भारत विरोध के रास्ते पर चलने के लिए प्रोत्साहित भी कर रहा है। यदि पाकिस्तान दक्षिण एशिया की शांति के लिए खतरा और इस क्षेत्र के विकास में एक बड़ा रोड़ा बन गया है तो चीन की संकीर्ण और शातिर सोच के कारण। यह हास्यास्पद है कि चीन एक ओर दुनिया में अपनी छवि बेहतर बनाना चाहता है और दूसरी ओर एक ऐसे आतंकी सरगना का बचाव करने में लगा हुआ है जिसका संगठन बहुत पहले से संयुक्त राष्ट्र की ओर से प्रतिबंधित है।
आखिर ऐसा देश आतंकवाद से लड़ने और विश्व शांति में योगदान देने का दावा कैसे कर सकता है? मसूद अजहर का समर्थन करके चीन एक तरह से आतंकवाद को खुला समर्थन देने का ही काम कर रहा है। पाकिस्तान इससे खुश हो सकता है कि चीन ने उसे एक और बार शर्मिंदा होने से बचा लिया, लेकिन सच यह है कि वह तबाही के रास्ते पर जा रहा है। पाकिस्तान जब तक चीन की शह से आतंकी संगठनों को पालने-पोसने का काम करता रहता है तब तक भारत को उसे लेकर हर क्षण सावधान रहना होगा। बेहतर होगा कि उसकी आतंकी हरकतों का मुंह तोड़ जवाब देने में और अधिक आक्रामकता का परिचय दिया जाए।
यह अच्छा हुआ कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संयुक्त राष्ट्र के मंच से यह कहा कि पाकिस्तान आतंकियों को महिमा मंडित करने वाला देश बन गया है। उन्होंने पाकिस्तान को अपने किए को नकारने में महारत हासिल करने वाले देश के रूप में रेखांकित करने के साथ ही यह भी बयान किया कि किस तरह उसकी हरकतों के कारण उससे बातचीत करना संभव नहीं। हालांकि उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के मंच से यह सवाल उठाया कि दुनिया के देश आतंकवाद के पोषक पाकिस्तान की कब तक अनदेखी करते रहेंगे, लेकिन इसमें संदेह है कि सुरक्षा परिषद में चीन जैसे देशों के रहते इस सवाल का कोई जवाब मिल सकेगा।
नि:संदेह यह संयुक्त राष्ट्र की एक बड़ी विफलता है कि वह एक ऐसे समय आतंकवाद को परिभाषित करने में नाकाम है जब उसका खतरा बढ़ता जा रहा है। पाकिस्तान और चीन की जुगलबंदी के समक्ष संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की असहाय स्थिति को देखते हुए यह आवश्यक है कि भारत अपनी पाकिस्तान संबंधी नीति को और धार दे। ऐसा करते समय उसे चीन के कुटिल इरादों को भी ध्यान में रखना होगा और इस पर भी कि पाकिस्तान किस तरह आर्थिक बदहाली से ग्रस्त होने के बाद भी सही रास्ते पर चलने से इन्कार कर रहा है। यह पाकिस्तान की दीवालिया सोच का ही प्रमाण है कि वहां के नए प्रधानमंत्री इमरान खान यह मानकर चल रहे हैैं कि वह पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की भैैंसों की नीलामी कर देश की आर्थिक सेहत ठीक कर सकते हैैं।