प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़ी संख्या में मतदान की जरूरत पर बल देते हुए विभिन्न क्षेत्रों के जाने-माने लोगों से वोट के लिए जागरूकता बढ़ाने का जो आग्रह किया उसका कुछ न कुछ असर दिखना ही चाहिए। यह अच्छा हुआ कि उन्होंने यह आग्रह अपने जिन राजनीतिक विरोधियों से किया उनमें राहुल गांधी, ममता बनर्जी आदि भी हैं। ऐसा करके उन्होंने एक राजनेता वाला काम किया है। अधिक मतदान लोकतंत्र को मजबूती देने के साथ ही जनता की आकांक्षाओं की वास्तविक तस्वीर भी पेश करता है। 

मतदान लोकतंत्र में भागीदारी का अवसर मात्र ही नहीं, देश की दशा-दिशा तय करने में आम आदमी के योगदान का भी परिचायक है। अधिक मतदान के लिए माहौल बनाने की आवश्यकता इसलिए है, क्योंकि देश के कुछ हिस्सों में मतदान प्रतिशत अपेक्षा से कहीं कम होता है। विडंबना यह है कि आमतौर पर कम प्रतिशत महानगरों में अधिक देखने को मिलता है। इसका कोई मतलब नहीं कि सरकारों अथवा राजनीतिक दलों के तौर-तरीकों की आलोचना तो बढ़-चढ़कर की जाए, लेकिन मतदान करने में उदासीनता दिखाई जाए। आमतौर पर मतदान न करने के पीछे यह तर्क अधिक सुनने को मिलता है कि मेरे अकेले के मत से क्या फर्क पड़ता है? एक तो यह तर्क सही नहीं, क्योंकि कई बार दो-चार मतों से भी हार-जीत होती है और दूसरे, अगर सभी यह सोचने लगें तो फिर लोकतंत्र कैसे सबल होगा? अब तो किसी भी उम्मीदवार को वोट न देने यानी नोटा का भी विकल्प है। हालांकि यह विकल्प अभी बहुत प्रभावी नहीं, फिर भी इससे यह तो पता चलता ही है कि चुनाव सुधार की प्रक्रिया आगे बढ़ रही है।

प्रधानमंत्री ने मतदान प्रतिशत बढ़ाने की अपील करते हुए यह सही कहा कि अधिक से अधिक मतदान का मतलब एक मजबूत लोकतंत्र है और मजबूत लोकतंत्र से ही विकसित भारत बनेगा, लेकिन अब ऐसी व्यवस्था करने का भी समय आ गया है जिससे अपने गांव-शहर से दूर रहने वाले वहां जाए बगैर मतदान कर सकें। ध्यान रहे कि ऐसे लोगों की संख्या करोड़ों में है। रोजी-रोटी के लिए अपने गांव-शहर से दूर जाकर जीवन यापन करने वाले सब लोगों के लिए यह संभव नहीं कि वे मतदान करने अपने घर-गांव लौट सकें। 

बहुत से लोग काम-धंधे की जरूरत के कारण मतदान के समय यात्रा पर भी होते हैं। आखिर आज के डिजिटल भारत में ऐसे सब लोगों के लिए ऐसी कोई व्यवस्था क्यों नहीं बन सकती जिससे जो जहां है वहीं से अपने निर्वाचन क्षेत्र के लिए मतदान कर सके? यदि सेना और अर्धसैनिक बलों के जवानों के साथ-साथ चुनाव ड्यूटी में शामिल लोगों के लिए वोट देने की व्यवस्था हो सकती है तो अन्य लोगों के लिए क्यों नहीं हो सकती? एक ऐसे समय जब विदेश में रह रहे भारतीयों को भारत आए बगैर वोट देने की सुविधा देने की तैयारी हो रही है तब फिर ऐसा कुछ किया ही जाना चाहिए जिससे वे आम भारतीय भी मतदान कर सकें जो अपने निर्वाचन क्षेत्र से बाहर होते हैं। इस बार न सही, अगली बार ऐसी किसी व्यवस्था के निर्माण के लिए निर्वाचन आयोग के साथ सरकार का भी सक्रिय होना समय की मांग है।