झारखंड सरकार स्वास्थ्य के क्षेत्र में मानव संसाधन की घोर कमी झेल रही है जबकि कर्मचारी राज्य बीमा निगम द्वारा चलाए जा रहे अस्पतालों का एक तो खुद ही खस्ताहाल होना, दूसरे मानव संसाधन की जबर्दस्त कमी करीब दस लाख लोगों पर भारी गुजर रही है। राज्य में 24 जिले हैं जबकि बीमा निगम के महज नौ जिलों में ही अस्पताल हैं। इन जिलों में चल रहे बीस चिकित्सालयों में गिनती के 44 डाक्टरों की ही पदस्थापना के कारण इनसे जुड़े कर्मचारियों और उनके परिवार को मुकम्मल स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल पा रहीं। बीमा निगम के अधिकांश चिकित्सालय किराए के भवनों में चलना यह बताता है कि उनसे जुड़े लोगों के स्वास्थ्य के प्रति कितनी दिलचस्पी ली जा रही है। राज्य में तकरीबन दो लाख 68 हजार कर्मचारी बीमा धारक हैं, जिनके इलाज की जवाबदेही इन चिकित्सालयों पर है। गणना की जाय तो औसतन चार लोगों के परिवार की दर से इन चिकित्सालयों पर कम से कम दस लाख लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करानी है। राज्य में इन अस्पतालों के लिए चिकित्सकों के स्वीकृत 141 पदों के सापेक्ष महज 44 की ही पदस्थापना से निश्चय ही सभी मरीजों की चिकित्सा कतई संभव नहीं है।

पूरे दक्षिण छोटानागपुर एवं संताल परगना में केवल एक-एक ही बीमा चिकित्सालय है। पलामू प्रमंडल में एक भी चिकित्सालय नहीं है। ऐसी स्थिति में यह समझा जा सकता है कि बीमा अस्पतालों की स्थापना में जिले तो जिले प्रमंडलों की भी उपेक्षा बरती गई है। प्रावधान के अनुसार 50 हजार बीमित कर्मचारियों के क्षेत्र में एक अस्पताल होना चाहिए। इस प्रकार आधारभूत संरचना सहित मानव संसाधन की घोर कमी रखते हुए यह संगठन किस प्रकार की स्वास्थ्य सेवाएं दे रहा है, यह बताने की जरूरत नहीं। किसी भी कर्मचारी और उसके परिवार के लिए शिक्षा और चिकित्सा सुविधाएं अत्यंत आवश्यक होती हैं। बिना अच्छे स्वास्थ्य के किसी भी व्यक्ति से बेहतर कार्य की अपेक्षा नहीं की जा सकती है। इसके उलट उनके लिए ये सुविधाएं बहाल करने के नाम पर सच कहा जाय तो खिलवाड़ ही किया जा रहा है। झारखंड में एक तो ऐसे भी जल और मच्छर जनित बीमारियां अधिक होती हैं। बीमित कर्मचारियों तक के लिए स्वास्थ्य सुविधाएं बहाल नहीं होने का सीधा मतलब है कि प्रभावित लोग या तो झोला छाप डाक्टरों की शरण में जाएं या फिर अपनी जेब ढीली करें। इस स्थिति से निजात दिलाने का उपाय शीघ्र किया जाना हर पक्ष के हित में होगा।

[स्थानीय संपादकीय: झारखंड]