दिल्ली में आग लगने की बढ़ रहीं घटनाएं चिंता का विषय है। सोमवार की शाम सदर बाजार की झुग्गी बस्ती में भीषण आग लगी थी तो मंगलवार को तिब्बती मार्केट में आग लगने से 150 से ज्यादा दुकानें जलकर खाक हो गईं। इस तरह की घटनाओं में साल-दर-साल बढ़ोतरी हो रही है। जिससे करोड़ों की संपत्ति जलकर खाक हो जाती है। इससे कई लोगों की जान भी चली जाती है। आगजनी की बढ़ती घटनाओं के लिए प्रशासन के साथ ही आम नागरिक भी जिम्मेदार हैं। बदलती जीवनशैली ने घरों में बिजली से चलने वाले उपकरणों की संख्या बढ़ा दी है। बेडरूम से बाथरूम तक और किचन से डायनिंग रूम तक अलग-अलग जरूरतों के हिसाब से उपकरण लग रहे हैं। इनसे आराम तो मिलता है लेकिन घर में आग का खतरा भी इनकी वजह से बढ़ गया है। जागरूकता में कमी और लापरवाही की वजह से इस तरह की घटनाएं और ज्यादा हो रही हैं। यही कारण है कि औसतन हर रोज दिल्ली के 75 घरों में आग लगती है। आंकड़ों के अनुसार दिल्ली में लगने वाली आग की कुल घटनाओं में घरों में लगने वाली आग की घटनाएं 30 फीसद हैं। रसोई गैस सिलेंडर से भी आग लगने की घटनाएं बढ़ रही हैं। कई बार लापरवाही की वजह से आग पूरे घर को चपेट में ले लेती है। झुग्गी बस्तियों और बाजारों में इससे बड़ा नुकसान होता है, क्योंकि इसकी चपेट में कई झुग्गी व दुकान आ जाते हैं। इसलिए आगजनी की घटनाओं को रोकने के लिए बड़े पैमाने पर जागरूकता की जरूरत है। आग से बचाव के बारे में स्कूलों में भी बच्चों को बताया जाना चाहिए।
न सिर्फ घरों बल्कि व्यवसायिक स्थलों व स्कूलों में भी लापरवाही बरती जाती है। कुछ माह पहले दिल्ली के 4426 स्कूलों की जांच कराई गई थी। जिसमें 1688 स्कूलों की इमारतों में आग लगने की स्थिति में उससे बचने के उपकरणों की कमी मिली थी। इसी तरह से कुछ अस्पताल भी ऐसे हैं जिनमें आग से बचाव के पूरे साधन नहीं हैं। इस तरह की लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है। इसलिए इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। दिल्ली में बहुत बड़ी जनसंख्या झुग्गी व अवैध कॉलोनियों में रहती हैं। जहां आग से बचाव के साधन नहीं होते हैं। इस तरह की घनी आबादी और संकरी गलियों वाले इलाके और बाजारों में आग लगने के बाद नुकसान ज्यादा होता है, क्योंकि दमकल की गाडिय़ों को पहुंचने में परेशानी होती है। इसलिए इन स्थानों के लिए पर्याप्त संख्या में अत्याधुनिक मशीन, छोटे वॉटर टेंडर और अन्य गाडिय़ां खरीदने की जरूरत है। इसके साथ ही आगजनी की घटनाओं को रोकने के लिए प्रत्येक नागरिक को सजग रहना होगा।

[ स्थानीय संपादकीय : दिल्ली ]